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माह के अंत तक आरक्षण सूची जारी करें उच्च न्यायालय का निर्देश

locationबैंगलोरPublished: Mar 14, 2020 08:24:45 pm

Submitted by:

Sanjay Kulkarni

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को बृहद बेंगलूरु महानगरपालिका (बीबीएमपी) के 198 वार्डों की आरक्षण सूची 31 मार्च तक पेश करने के निर्देश दिए है।ऐसा नहीं करने पर इस देरी के लिए प्रति दिन 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है।

माह के अंत तक आरक्षण सूची जारी करें उच्च न्यायालय का निर्देश

माह के अंत तक आरक्षण सूची जारी करें उच्च न्यायालय का निर्देश

बेंगलुरु.कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को बृहद बेंगलूरु महानगरपालिका (बीबीएमपी) के 198 वार्डों की आरक्षण सूची 31 मार्च तक पेश करने के निर्देश दिए है।ऐसा नहीं करने पर इस देरी के लिए प्रति दिन 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है।
इससे पहले राज्य सरकार ने अदालत को 13 मार्च को सभी वार्डों के की आरक्षण सूची मूहैया करने का वादा किया था। लेकिन 13 मार्च की सुनवाई के दौरान जब सरकारी अभियोजक वी श्रीनिधी ने इस सूची के लिए अदालत से और एक सप्ताह का समय मांगा तब इस मामले को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई कर रहें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ए एस ओक के नेतृत्ववाली पीठ ने राज्य सरकार को यह चेतावनी दी है। मुख्य यायाधीश ने स्पष्ट किया की इस सूची में संभाव्य देरी के कारण वसूले जाने वाली जुर्माने की राशि राज्य चुनाव आयोग में जमा की जाएगी।
इससे पहले सरकारी अभियोजक ने तर्क रखते हुए कहा कि प्रशासन ने हाल में बीबीएमपी के 198 वार्ड का पुनर्गठन किया है।इस पुनर्गठन को लेकर लोगों से आपत्तियां आमंत्रित की गई यह प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात आरक्षण की सूची तैयार की जाएगी अदालत ने सरकारी अभियोजक की इस दलिल को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रक्रिया से लगता है कि राज्य सरकार बीबीएमपी के चुनाव को कतई गंभीरता से नहीं ले रही है। जबकि नगर निकायों के चुनाव राज्य सरकार का संवैधानिक दायित्व है। लिहाजा अदालत राज्य सरकार को निर्देश देती है कि हर हालत में 31 मार्च तक आरक्षण की सूची अदालत में पेश की जाए इसमें देरी होने पर राज्य सरकार से प्रति दिन 5 लाख रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा।
अदालत ने कहा कि आरक्षण सूची तैयार करने के लिए राज्य सरकार को सूचित करने के लिए राज्य चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक तथा स्वायत्त संस्था को अदालत में याचिका दाखिल करने की नौबत आना ठीक नहीं है। इस मामले की सुनवाई 20 मार्च को होगी।
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