न्यायालय ने २५ सितंबर के आदेश में कैग रिपोर्ट का जिक्र करते हुए प्रदेश के जिला अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित अन्य स्वास्थ्य निकायों में रिक्त चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मचारियों सहित पैरामेडिकल कर्मचारियों के पदों को लेकर नाराजगी जताई थी। प्रधान सचिव जावेद अख्तर को तलब का जवाब मांगा था। लेकिन अख्तर के जवाब में स्त्री और बाल रोग विशेषज्ञों सहित अन्य चिकित्सकों के रिक्त पदों को भरने के विषय में उल्लेख नहीं था। न्यायालय ने कहा कि जवाब में पैरामेडिकल कर्मचारियों के कुछ वर्ग के कर्मचारियों की नियुक्ति दो महीने में करने की बात का कोई मतलब नहीं हैं क्योंकि मौजूदा नियमानुसार कर्नाटक राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से ही रिक्त पदों पर नियुक्ति हो सकती है। सरकार सीधे नियुक्तियां कर सके इसके लिए नियम में बदलाव की जरूरत है और मंत्रिमंडल ने अब तक इसकी मंजूरी नहीं दी है।
मामले पर अब अगली सुनवाई २५ अक्टूबर को होगी। न्यायालय ने अख्तर को जवाब देने को कहा है ताकि न्यायालय कैग रिपोर्ट में उल्लेखित रिक्त पदों को भरने के लिए एक बाहरी सीमा तय करने पर विचार कर सके। विधिक सेवा प्राधिकरण ने याचिका में अपील की थी कि कोर्ट स्वास्थ्य विभाग को प्रदेश में मातृ मृत्यु दर कम करने के लिए स्वास्थ्य योजनाएं प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दे। स्त्री रोग विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों के रिक्त पदों को भरे।