फिर एक बार कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ रुपए के अवमूल्यन ने सरकार को खामोश कर दिया है और विपक्ष मुखर है। सोमवार को आहूत भारत बंद का प्रदेश में सफल होना लगभग तय माना जा रहा है। यूपीए कार्यकाल में कच्चे तेल के भाव में 14.5 फीसदी की बढ़ोतरी और 3.2 फीसदी रुपए का अवमूल्यन फजीहत का कारण बने वहीं इस बार रुपया 72 के आसपास, डीजल ७५ के आसपास और पेट्रोल के भाव 8३ रुपए से ऊपर हैं। बेंगलूरु में रविवार को पेट्रोल 83.12 रुपए प्रति लीटर तो डीजल लगभग 74.95 रुपए प्रति लीटर तक जा पहुंचा।
फिलहाल कीमतों में गिरावट के कोई संकेत नहीं है। केंद्र और राज्य सरकारों के दखल के बिना राहत की उम्मीद नहीं और कोई भी इसके लिए तैयार नहीं। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि कीमतों की समीक्षा करने से पहले सरकार को ठीक तरह से सोच-विचार कर लेना चाहिए।
दूसरी तरफ, किसानों की कर्ज माफी का बोझ उठा रही राज्य सरकार के लिए यह संभव नहीं। पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों का सीधा असर अन्य उपभोक्ता वस्तुओं पर है और महंगाई से मध्यम वर्ग में त्राहिमाम मच गया है। पेट्रोल पंप से अपने दुपहिया वाहन पर निकलते कृष्णा रेड्डी नामक शख्स ने पीड़ा कुछ यूं व्यक्त की-‘मेरे पास कार भी है। मैं पिछले दिनों अपनी कार में ही सफर करता था क्योंकि मेरी उम्र 65 वर्ष के आसपास है। लेकिन, अभी मैं स्कूटी से सफर करने को मजबूर हूं। कार अभी घर में रख दी है। लेकिन, हालत यहीं रही तो साइकिल से सफर करना पड़ेगा।’
बेसिक रेट पर कर और कमीशन का पेंच
दरअसल, पेट्रोल और डीजल की कीमतें बेसिक रेट पर केंद्रीय उत्पाद कर, राज्य सरकार का बिक्री कर और डीलर कमीशन जोडक़र तय की जाती हैं। पेट्रोल के बेसिक रेट पर 19.48 रुपए केंद्रीय उत्पाद कर लगता है और उस पर राज्य सरकार का 32 फीसदी बिक्री कर लगाती है। डीलर कमीशन 3.34 रुपए से 3.36 रुपए है।
डीजल के बेसिक रेट पर 16 .33 रुपए केंद्रीय उत्पाद कर लगता है और उस पर राज्य सरकार का बिक्री कर 21 फीसदी होता है। डीजल पर डीलर कमीशन 2.27 से 2.28 रुपए होता है। जहां केंद्र सरकार की कर राशि निश्चित होती है वहीं देश के अलग-अलग राज्यों में डीजल और पेट्रोल पर बिक्री कर अलग-अलग है।
राज्य सरकार की हिस्सेदारी डीजल-पेट्रोल की कीमतें बढऩे-घटने के साथ बढ़ती-घटती हैं और उसी अनुरूप उपभोक्ताओं पर कीमतों का बोझ भी बढ़़ जाता है। कई बाजार विश्लेषकों का कहना है कि राज्य सरकारें भी राशि निश्चित करें क्योंकि प्रतिशत में बिक्री कर तय होने से जब कीमतें बढ़ती हैं तो उपभोक्ताओं पर भार भी बढ़ता है। जहां तक कर्नाटक सहित दक्षिणी राज्यों का सवाल है तो पड़ोसी राज्यों की तुलना में यहां सस्ता डीजल लेकिन महंगा पेट्रोल मिलता है।
पांच साल पहले वाली स्थिति
बेंगलूरु में पेट्रोल की कीमत लगभग पांच साल पहले वाली स्थिति में आ चुकी है। 24 मई 2012 को 80.24 रुपए (राज्य कर सहित) प्रति लीटर थी। यह पहला मौका था जब शहर में पेट्रोल की कीमत ने 80 का आंकड़ा छुआ था। करीब पांच साल पहले १४ सितम्बर २०१३ को शहर में पेट्रोल की कीमत ८३.३५ रुपए प्रति लीटर थी जबकि १६ जनवरी २०११ को शहर में एक लीटर पेट्रोल मिलता था।
डीजल की कीमत ०१ सितम्बर २०१३ को शहर में ५६.१० रुपए प्रति लीटर थी। १४ सितम्बर २०१२ को शहर में डीजल ने ५० का आंकड़ा छुआ था जब ६०.१३ रुपए (राज्य कर सहित) वृद्धि के साथ कीमत ५१.२४ रुपए प्रति लीटर हो गई थी। १३ मई २०१४ को डीजल का भाव शहर में ६१.३३ रुपए प्रति लीटर था। २५ जुलाई २०११ को शहर में एक लीटर डीजल सिर्फ ४६.०६ रुपए में मिलता था।