scriptपूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं | 'Hina' is spreading the scent of dance | Patrika News

पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं

locationबैंगलोरPublished: Feb 10, 2020 06:54:33 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

नृत्य साधना की महक बिखेर रही ‘हिना’

पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं

पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं

बेंगलूरु. नित नए मुकाम को छूना हो और उसमें भी दैनिक रूप से नवीनता की झलक पानी हो तो नृत्य से बेहतर कला कोई नहीं हो सकती। इसलिए हर दिन नए मुकाम को पाने की चाहत रखने वाली हिना जैन अपनी इस कला के बलबूते देश विदेश के मंचों पर अपनी यादगार प्रस्तुतियां छोड़ रही है। हाल ही में कर्नाटक सरकार के कन्नड़ एवं संस्कृति विभाग की ओर से प्रस्सति पत्र पाने वाली हिना जैन ने ‘पत्रिका’ से बात करते हुए कहा कि हाव-भाव, अंगहार, अनुभाव और रसों की अभिव्यक्ति की सर्वोच्च साधना नृत्य एक ऐसी सार्वभौम्य कला है जिसकी विविध विधाओं में मानवीय अभियक्ति का रसमय प्रदर्शन होता है। नृत्य को इसलिए सभी कलाओं में सबसे प्रभावशाली माना जाता है।

विविध शैलियों में पेश किए नृत्य

नृत्य एकरूपता में विविधता का सामंजस्य कहता है। नृत्य की इन्हीं विशेषताओं के कारण बचपन से ही हिना के पांव थिरकने लगे और उसने स्कूली समय से ही लगातार कई मंचों पर अपनी दमदार प्रस्ततियां दी। बाद के वर्षों में हिना ने नृत्य की विविध शैलियों को अंगीकार किया और अब उन्होंने जुंबा, भरतनाट्यम, बॉलीवुड और बैलेट डांस फॉर्म में हर स्तर पर खुद को साबित और स्थापित किया है।

पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं को चरितार्थ करते हुए गुवाहाटी में पैदा हुई हिना जैन बेंगलूरु में पढ़ाई करते हुए दस वर्ष से भी कम उम्र में वर्ष 1999 में आदिचुंचनगिरि मठ के बाल गंगाधर स्वामी के हाथों बीजीएस अंतरराष्ट्रीय स्कूल की सर्वश्रेष्ठ डांसर का खिताब लिया। स्कूल- कॉलेज के दिनों में कई ख्यातिनाम प्रदर्शन करने वाली हिना को वर्ष 2018 में कोलकाता में नटेश्वर नृत्य उत्सव में नृत्य शीला सम्मान मिला। गत वर्ष बेंगलूरु में आयोजित इंडिया नेक्स्ट मास्टर कीड और ग्लोबल टैलेंट हंट ऑडिशन की जूरी मेंमबर रहीं। मुंबई में इंडियन वुमन अचिवर्स अवार्ड-2019 व बेंगलूरु में नृत्य कला मोहन सम्मान अवार्ड-2019 का खिताब भी अपने नाम कर चुकी है। कई स्कूलों में बतौर नृत्य प्रशिक्षक काम करती हैं और तीन वर्ष के बच्चे से लेकर हर उम्र के लोग इनके विद्यार्थी हैं।

नृत्य क्षेत्र में अवसर की कमी नहीं

हिना कहती है कि यदि आपके भीतर किसी चीज के लिए जबरदस्त जुनून है तो आप इसी में अपना भविष्य बना अपार सफलता हासिल कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने नृत्य के जुनून को अपना कैरियर बनाया। धन, दौलत और रुतबे से ज्यादा हिना के लिए अपने काम में संतुष्टि महत्वपूर्ण है। वे कहती हैं कि नृत्य के क्षेत्र में अवसर की कमी नहीं है। नृत्य जिनका जुनून है उन्हें इस क्षेत्र में आगे जरूर बढऩा चाहिए।

पांच वर्ष की उम्र से थिरक रहे पांव
अपनी सफलता का श्रेय मां का देते हुए हिना कहती है वह पांच वर्ष की उम्र से नृत्य सीख रही हैं। मां ने उन्हें भरतनाट्यम क्लास भेजना शुरू किया और बाद में उन्होंने इसे पेशेगत रूप से स्वीकार किया। कई मंचों पर प्रदर्शन कर चुकी हिना के लिए फिल्मी दुनिया में कोरियोग्राफी के मौके मिले हैं लेकिन फिलहाल उसका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार (आइफा) समारोह में परफॉर्म करना है।

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