बैंगलोर

बीयू को नहीं मिल रहे हिंदी के विद्यार्थी

शिक्षा : 42 फीसदी से कम सीटों पर दाखिलापांच दशकों से है ऐसी ही स्थितिन्यूनतम संख्या भी जुटाना मुश्किल

बैंगलोरAug 31, 2018 / 08:49 pm

Ram Naresh Gautam

बीयू को नहीं मिल रहे हिंदी के विद्यार्थी

बेंगलूरु. हिंदी विभाग है और प्रोफेसर भी हैं लेकिन हिंदी में एमए करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बेहद कम है। बेंगलूरु विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग बीते पांच दशक से विद्यार्थियों की कमी से जूझ रहा है। इससे विभाग चिंतित है। हालांकि विद्यार्थियों को हिंदी की ओर आकर्षित करने की दिशा में विभाग प्रयासरत है।
विभाग के प्रमुख प्रो. डॉ. शेखर ने बताया कि वर्ष 1971 से विद्यार्थियों की संख्या कम ही रही है। पीजी (स्नातकोत्तर) की 34 सीटें हैं। इस बार 14 विद्यार्थियों (42 फीसदी) ने दाखिला लिया है। जो बीते किसी भी वर्ष से बेहतर है। आम तौर पर विद्यार्थियों की संख्या 12 या कम रही है। देश के विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी दाखिला लेते हैं। ज्यादातर विद्यार्थी उत्तर कर्नाटक से आते हैं। डॉ. शेखर ने बताया, चार सितंबर तक दाखिला प्रक्रिया जारी रहेगी। उम्मीद है कि कुछ और विद्यार्थी दाखिला लेंगे। विद्यार्थियों को लगता है कि हिंदी में रोजगार के अवसर कम हैं।
पर ऐसा नहीं है। अन्य कई कारणों से विद्यार्थी हिंदी में उच्च शिक्षा अर्जित नहीं करना चाहते हैं। गैर हिंदीभाषी राज्य होने के कारण भी शायद विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम रही हो। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में प्रथम चरण की काउंसलिंग में नौ विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था। एक विद्यार्थी के लिए विभाग को लंबा इंतजार करना पड़ा था क्योंकि बीयू में किसी भी विभाग को चलाने के लिए न्यूनतम 10 विद्यार्थी की जरूरत होती है।

दो व्याख्याताओं की लड़ाई में 1189 विद्यार्थी फेल!
बेंगलूरु. बेंगलूरु विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के दो व्याख्याताओं के बीच मतभेद के कारण एमकॉम के 3000 में से 1189 विद्यार्थी एक ही विषय की परीक्षा में फेल हो गए। सभी प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थी थे। बीयू के खुफिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है, जिसके बाद बीयू ने जांच समिति के गठन की बात कही है। फेल हुए सभी विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं फिर से जांचीं जा रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार वाणिज्य विभाग के दो व्याख्याताओं की आपस में नहीं बनती है। एक व्याख्याता ने बदले की भावना से दूसरे व्याख्याता के एड्वांस्ड वित्त प्रबंधन विषय के विद्यार्थियों को फेल कर दिया। हालांकि, दोनों व्याख्याताओं ने ऐसी किसी भी बात से इनकार किया है। आपसी मतभेदों को मूल्यांकन से नहीं जोडऩे की बात कही है।
बीयू के कुलसचिव (प्रशासन) प्रो. शिवराजू ने बताया कि उत्तरपुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन में सच सामने आएगा। पेपर अच्छा करने वाले विद्यार्थी भी फेल हुए होंगे तो संबंधित मूल्यांकनकर्ता के खिलाफ उचित कार्रवाई होगी। परीक्षा के सात महीने बाद बीयू ने नतीजों की घोषणा की थी। विद्यार्थी अब तीसरे सेमेस्टर में हैं। परिणाम आने के बाद बीयू व इससे संबद्ध अन्य कॉलेजों के विद्यार्थियों ने गत गुरुवार को प्रदर्शन कर पुनर्मूल्यांकन की मांग की थी।

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