हस्तांतरण : इसरो की हुई एचएमटी की जमीन
बैंगलोरPublished: Jul 15, 2018 10:55:54 pm
जहां बनती थी घडिय़ां, वहां बनेगा अंतरिक्ष मिशन केंद्र
हस्तांतरण : इसरो की हुई एचएमटी की जमीन
बेंगलूरु. कलाई घड़ी बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की मशहूर कंपनी एचएमटी की तूमकुरु स्थित 109 एकड़ जमीन शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को हस्तांतरित कर दी गई। इसरो अब इस जमीन पर अंतरिक्ष मिशनों के लिए केंद्र स्थापित करेगा।
तूमकुरु में शनिवार को आयोजित एक समारोह के दौरान उपमुख्यमंत्री डॉ. जी.परमेश्वर और एचएमटी के महाप्रबंधक सी. पटनायक ने इसरो प्रतिनिधि व अंतरिक्ष विभाग के संयुक्त सचिव एस. कुमारस्वामी को 109 एकड़ भूमि के दस्तावेज सौंपे।
इस जमीन पर पहले प्रतिष्ठित एचएमटी घडिय़ां तैयार होती थीं जो अब इतिहास बन चुकी है। ये घडिय़ां कभी काफी लोकप्रिय थीं। निजी क्षेत्रों से मिली कड़ी प्रतिस्पद्र्धा का मुकाबला यह सरकारी कंपनी नहीं कर पाई और घाटे में चली गई। वर्ष 2012-13 में कंपनी को 242 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ जबकि उसकी कमाई महज 11 करोड़ रही। केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में इसे बंद करने का फैसला किया जिसके बाद इसरो ने अपने केंद्रों के विस्तार के लिए इस जमीन को हासिल करने में रुचि दिखाई। अप्रेल 2017 में एचएमटी की कुल 208.35 एकड़ जमीन इसरो को 1194.21 करोड़ रुपए में देने का फैसला हुआ जिसमें से 109 एकड़ जमीन शनिवार को सौंप दी गई।
तुमकूरु के लिए गर्व की बात: परमेश्वर
इस बीच जमीन हस्तांतरित किए जाने के बाद अपने संबोधन में उप मुख्यमंत्री डॉ जी. परमेश्वर ने इसरो अधिकारियों से कहा कि चार दशक तक एचएमटी के लिए काम करने वाले पूर्व कर्मचारियों के बच्चों को रोजगार उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि यह तूमकुरु के लिए गर्व का विषय है कि यहां इसरो का केंद्र स्थापित होने जा रहा है। जमीन हस्तांतरण में अहम भूमिका निभाने वाले तूमकुरु के सांसद मुद्देहनुमे गौड़ा की भी उन्होंने प्रशंसा की। गौड़ा ने कहा कि उन्होंने एचएमटी की इकाई को बचाने के लिए दो प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुए। केंद्र सरकार ने इसे अप्रेल 2016 में बंद करने का निर्णय कर लिया तो उन्होंने मांग की कि यह जमीन को सौंप दी जाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसरो केंद्र के स्थापित होने से यहां रोजगार के कम से कम 4 हजार अवसर उपलब्ध होंगे और जिले की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचेगा।
इसरो ने ली राहत की सांस
दरअसल, इसरो हर वर्ष उपग्रहों का प्रक्षेपण बढ़ाकर कम के कम 12 करने की योजना पर चल रहा है वहीं उसे क्षमता विस्तार के लिए जमीन की जरूरत थी। शहर में इसरो के तमाम केंद्रों पर विस्तार की तनिक भी जगह नहीं रह गई थी ऐसे में एचएमटी की जमीन मिलने से उसने राहत की सांस ली है। इसरो के बेंगलूरु स्थित किसी भी केंद्र पर विस्तर की गुंजाइश नहीं थी। उपग्रहों के निर्माण और रॉकेटों की एसेंबलिंग में निजी क्षेत्र को शामिल किए जाने की योजना के मद्देनजर नए केंद्रों की स्थापना आवश्यक है।