scriptअल्प इच्छाओं से मन की डोर को पकड़े रखें: विनयमुनि | Hold the door of the mind with small desires: Vinayamuni | Patrika News

अल्प इच्छाओं से मन की डोर को पकड़े रखें: विनयमुनि

locationबैंगलोरPublished: Apr 11, 2021 05:26:13 pm

अलसूर में प्रवचन

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बेंगलूरु. महावीर भवन, अलसूर में विराजित विनयमुनि ‘खिंचन’ ने कहा कि वर्तमान काल इंन्द्रिय सुख साधनों की उपलब्धि का काल है। परन्तु इन साधनों से धरती, आकाश और समुद्र पर पर्यावरण का असंतुलन बढ़ा है। इस असंतुलन से जगत को महामारी जैसा प्रकोप झेलना पड़ रहा है।
अतिवृष्टि, अनावृष्टि, अकाल आदि घटनाएं आधुनिक भौतिक युग की ही देन हैं। प्रकृति को जितनी चोट लाखों वर्षों में मानव जाति ने नहीं पहुंचाई उतनी विगत पचास वर्षों में भौतिक क्रान्ति के नाम पर पहुंचाई है।
मुनि ने कहा कि तीर्थंकर परमात्मा ने पृथ्वी, पानी, हवा, अग्नि व वनस्पति के संरक्षण को महाधर्म माना है। प्रकृति को चोट नहीं पहुंचाना उत्कृष्ट कोटि का धर्म माना है। जैन जीवन शैली पर भी अब आधुनिकता व उपभोग परिभोग वृत्ति हावी हो गई है। अल्प साधनों से जीवन निर्वाह, अल्प इच्छाओं से मन की डोर को पकड़े रखना। यही तो जैन तीर्थंकरों का गृहस्थों के लिए मौन उपदेश है।
भोग वृत्ति विनाश को खुला न्योता है। मुनि ने कहा कि गृहस्थ के लिए आगम में छह तिथि विशेष धर्म आराधना के लिए बताई गई हैं। यह तिथियां हमें अधर्म से बचने का सन्देश देती हैं। संघ मंत्री चन्द्रप्रकाश मूथा ने सभी का स्वागत किया।
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