पार्क के जिस हिस्से से भूमि दी गई है वह 600 से ज्यादा लुप्तप्राय पेड़-पौधों का (home to more than 600 endangered trees and plants) घर है। 148 प्रजातियों की तितलियां और करीब इतनी ही प्रजातियों के पक्षी पार्क में (There are 148 species of butterfly and 149 species of birds. There are hundreds of peacocks) मंडराते रहते हैं। सैकड़ो मोर इस पार्क में रहते हैं।
पार्क के पूर्व समन्वयक सहित पार्क के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले बीयू के प्रोफेसर टी. जे. रेणुका प्रसाद ने बताया कि और कहीं जमीन दी जा सकती थी लेकिन दोनों संस्थान मेट्रो स्टेशन के करीब जगह चाहते थे और पार्क खतरे में पड़ गया। आवंटित जमीन के एक हिस्से में पेड़ों की कटाई का काम शुरू हो चुका है। वर्ष 2001 में इस हिस्से को पार्क में तब्दील किया गया था। प्रो. प्रसाद के अनुसार बीयू देश के कुछ जैव-विविध समद्ध विश्वविद्यालयों में से एक है। इसके पीछे सैकड़ों प्रोफेसरों, विद्यार्थियों, आम लोगों व कई संस्थानों की मेहनत है। बीयू या प्रदेश सरकार ने पार्क के निर्माण में एक रुपया तक खर्च नहीं किया है। 25 वर्षों की मेहनत पर पानी फेरने का काम किया गया है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में बीयू के पूरे कैंपस को बायोडाइवर्सिटी पार्क घोषित किया था।
इसे ध्यान में रखते हुए 14 अतिरिक्त जैव पार्क पैच विकसित किए गए। पूरे पार्क में 1100 से ज्यादा लुप्तप्राय पेड़-पौधे हैं।
पर्यावरणविद और कर्नाटक वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य जोसेफ हूवर ने भी सरकार से इस पार्क को बचाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थान अगर पेड़ों की महत्वता नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। पेड़-पौधों को बचाने पर लोगों को शिक्षित व जागरूक करने के बजाए ये संस्थान और विश्वविद्यालय इसे नष्ट कर रहे हैं। पार्क बनाने में दो दशक से ज्यादा का समय लगा है लेकिन जेसीबी मशीनों ने दो दिनों में ही पार्क के एक हिस्से को मिटा दिया।
भारतीय खेल प्राधिकरण ने वर्ष 2017 में अपने कैंपस के विस्तार के लिए बीयू से जमीन मांगी थी लेकिन जैव विविधता पार्क होने के कारण प्रदेश सरकार और बीयू ने मना कर दिया था।
बीयू के कुलपति प्रो. के. आर. वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीएसइ के लिए दो एकड़ भूमि की मांग आई थी लेकिन 30 वर्ष के पट्टे पर एक एकड़ भूमि देने पर सहमति बनी है। अतिरिक्त 15 एकड़ भूमि योग विज्ञान विश्वविद्यालय के लिए है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिख 25 एकड़ भूमि की मांग की है। लेकिन बीयू ने स्पष्ट किया है कि 15 एकड़ से ज्यादा भूमि देना संभव नहीं है। वे चाहते हैं कि शिक्षा के केंद्र के रूप में बीयू परिसर आगे बढ़े। उन्हें भरोसा है कि योग विज्ञान विश्वविद्यालय हरियाली बनाए रखेगा।