बेलकवाड़ी पुलिस ने कहा कि जब उन्हें शव मिले तो वे समझ नहीं पाए कि यह हत्या है या आत्महत्या। लेकिन पुलिस का जानकार थी कि नंदेश के छोटे भाई शंकर ने एक जोड़े के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी और होसूर पुलिस थाने में उसकी शिकायत 14 नवंबर को दर्ज हुई थी।
जब शंकर से इस बारे में पूछताछ की तो उसने बताया कि किस तरह नंदेश और स्वाति घर से भागकर शादी कर लिए और इससे स्वाति के परिवार वाले नाराज थे। जांच में पता चला कि नंदेश कृष्णगिरि के सूदकोंडापल्ली का रहने वाला था जो एक हार्डवेयर की दुकान में काम करता था।
कृष्णगिरि की ही रहने वाले स्वाति से उसकी मुलाकात लगभग डेढ़ साल पहले हुई थी। नंदेश जहां दलित परिवार का था वहीं स्वाति प्रमुख वन्नियार परिवार से ताल्लुक रखती थी। नंदेश ने अपने अभिभावकों से कहा था कि वह स्वाति से शादी करना चाहता है जिसके लिए वे तैयार थे। चार महीने पहले ही सूदकोंडापल्ली गांव में एक मेले के दौरान नंदेश के पिता नरायणप्पा ने कथित तौर पर स्वाति के पिता श्रीनिवास से संपर्क किया और शादी का प्रस्ताव रखा।
लेकिन, जैसे ही स्वाति के पिता को यह पता चला कि नंदेश निम्न जाति का है वह आग बबूला हो गए शादी से मना कर दिया। वे जबरदस्ती स्वाति को अपने घर ले गए और उसका कहीं भी आना-जाना बंद कर दिया।
लेकिन, पिछले अगस्त महीने में स्वाति कॉलेज जाने के बहाने घर से निकली और होसूर में नंदेश से मिली। दोनों ने उसी दिन शादी कर ली। दोनों होसूर में ही बस स्टैंड के करीब एक किराए के मकान में रहने लगे। इस बीच दोनों के पिता नरायणप्पा और श्रीनिवास अपने-अपने बच्चों को लेकर ङ्क्षचतित रहने लगे और उनकी खोजबीन शुरू की।
पिछले 10 नवम्बर को दोनों कमल हासन का भाषण सुनने होसूर आए थे इसी दौरान स्वाति एक संबंधी ने उसे देख लिया। उसने तुरंत स्वाति के एक चाचा अश्वथ को सूचित किया। पुलिस का कहना है कि अश्वथ और स्वाति के दो अन्य चाचा वेंकराजू और वेंकटेश उसके पिता श्रीनिवास के साथ होसूर में ही उसकी तलाश कर रहे थे।
जैसे ही सूचना मिली वे टैक्सी से तुरंत वहां पहुंच गए। श्रीनिवास ने स्वाति को ले जाना चाहते थे जिसके लिए वह तैयार नहीं थी। कथित तौर पर उन्होंने उसे काफी शर्मिंदा किया और कहा कि एक निची जाति के लड़के से विवाह कर परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल की है।
काफी बहस के बाद उन्होंने मामला पुलिस थाने में सुलझाने का आश्वासन देकर दोनों को सुमो में बैठा लिया। हालांकि, नाइस रोड पर जब वे आगे बढ़ रहे थे तब नंदेश को संदेह हुआ लेकिन परिवार ने यह समझाया कि वे पहले हनुमान मंदिर जाना चाहते हैं।
अंतत: वे 11 नवम्बर की सुबह 3 बजे शिवनसमुद्र प्रपात पहुंचे जहां श्रीनिवास और उनके भाइयों ने कथित तौर पर नंदेश से कहा कि उसने उनकी प्रतिष्ठा को जिस तरह धूमिल किया है उसके बाद उसका जिंदा रहना ठीक नहीं। उसके दोनों पैर और हाथ लुंगी से बांध दिए और फेंक दिया।
स्वाति की भी हत्या इसी तरह की गई। जब 14 नवम्बर तक दोनों घर नहीं लौटे और फोन का कोई जवाब भी नहीं मिला तो पुलिस में उनके गुम होने की शिकायत दर्ज कराई।
बेलकवाड़ी पुलिस ने स्वाति के पिता श्रीनिवास को गिरफ्तार कर लिया है। उसे मंड्या लाया जा रहा है जहां उसपर हत्या का मामला चलाया जाएगा।