विक्टोरिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपक सिवन्ना ने बताया कि अस्पताल परिसर में पहले से दो बोरवेल हैं। अगले कुछ सप्ताह में दो और बोरवेल उपलब्ध होंगे। तब तक कर्मचारियों, मरीजों और परिजनों को पानी के विवेकपूर्ण इस्तेमाल की सलाह दी गई है। बगीचों के लिए पुनर्चक्रित जल का उपयोग किया जा रहा है।हर दिन चाहिए 10 लाख लीटर पानी
वैदेही इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डॉ. रवि बाबू ने बताया कि अस्पताल को हर दिन करीब 10 लाख लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। बोरवेल आवश्यकता का केवल 20-30 फीसदी ही पूरा करते हैं। बेंगलूरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड पानी की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। पानी के लिए अस्पताल टैंकरों पर निर्भर है। टैंकर मालिक 120 रुपए प्रति किलोलीटर वसूल रहे हैं। बोरवेल तकरीबन सूख चुके हैं
शहर के एक अन्य बड़े अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी के अनुसार बोरवेल तकरीबन सूख चुके हैं। टैंकर से पानी मंगवाना बहुत महंगा पड़ रहा है। स्थिति ऐसी ही बनी रही तब निकट भविष्य में गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। शौचालयों के लिए भी पुनर्चक्रित पानी पर निर्भर रहना पड़ रहा है।कोप्पल जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों व परिजनों को बाहर से पेयजल खरीदना पड़ रहा है। अस्पताल में लगे वाटर प्यूरीफायर भी अब काम नहीं कर रहे हैं।