केएमसी ने शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय को बताया कि केएमसी ने अस्पतालों को परिपत्र जारी कर साफ किया है कि उपचार से मना करने वाले चिकित्सों के खिलाफ चिकित्सा आचार संहिता 2002 की धारा 2.1 और 5.2 के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओक और जस्टिस अशोक एस. किन्गी की खंडपीठ के समक्ष परिपत्र की प्रति प्रस्तुत करते हुए, केएमसी ने बताया कि मरीजों की मदद के लिए केएमसी ने हेल्पलाइन शुरू की है। चिकित्सकों के उपचार से मना करने पर मरीज शिकायत कर सकते हैं।
तुमकूरु के अधिवक्ता रमेश एल. नायक ने जनहित याचिका दायर कर न्यायालय को बताया था कि कुछ पेशेवर चिकित्सक व अस्पताल गैर-कोविड मरीजों का उपचार नहीं कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि कोरोना महामारी के भय से कुछ अस्पताल और क्लिनिक लंबे समय से बंद हैं। इसके जवाब मे केएमसी ने सभी पंजीकृत चिकित्सकों को अस्पताल या क्लिनिक बंद नहीं करने के निर्देश की छायाप्रति भी पेश की।
इन सबके बीच न्यायालय के समक्ष
प्रदेश सरकार ने भी प्रदेश कार्यकारी समिति की ओर से जारी उस आदेश की छायाप्रति रखी जिसमें गैर-कोविड मरीजों को बिना उपचार लौटाने वालों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई के प्रावधान का उल्लेख है। जिसके बाद पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि केएमसी और प्रदेश सरकार ने ऐसे चिकित्सकों व अस्पतालों के खिलाफ पहले से ही कदम उठा रखे हैं।