दरअसल, प्याज के सहारे करोड़पति बनने वाले किसान मल्लिकार्जुन(42) बेंगलूरु से करीब 200 किलोमीटर दूर चित्रदुर्गा जिले के एक गांव में रहते हैं। वैसे तो मल्लिकार्जुन पिछले 12 साल से खरीफ मौसम में प्याज की खेती करते हैं लेकिन इस बार उनकी किस्मत ने साथ दिया और फसल आने के साथ ही प्याज की कीमत भी दिन दूनी-रात चौगुनी की रफ्तार से आसमान छूने लगा। रॉकेट की तरह बढ़ी कीमत के कारण प्याज ने मल्लिकार्जुन की जिंदगी बदल दी। मल्लिकार्जुन ने ₹15 लाख का कर्ज लेकर इस बार 20 एकड़ में प्याज की खेती की थी। पहले भी प्याज की खेती से अच्छी कमाई कर चुके मल्लिकार्जुन के लिए यह बड़ा जोखिम था। वे कहते हैं यह उनका अब तक का सबसे बड़ा दांव था, अगर फसल खराब हो जाती या कीमती गिर जाती तो वे कर्ज में डूब जाते। लेकिन, इस बार प्याज ने उनके परिवार की जिंदगी बदल दी है।
मल्लिकार्जुन कहते हैं उन्हें सिर्फ ₹5-10 लाख के मुनाफे की उम्मीद थी लेकिन इस बार लागत से 6 गुना कमाई हुई है। मल्लिकार्जुन के खेत में करीब 3700 बोरी (20 ट्रक) प्याज का उत्पादन हुआ। शुरू में उन्होंने ने प्याज ₹ 3200/ क्विन्टल के भाव से बेचा लेकिन जल्दी ही भाव बढ़ने लगा फिर मल्लिकार्जुन ने 4000, 7000 और 12000/क्विन्टल तक प्याज बेचे। मल्लिकार्जुन के पास अपनी 10 एकड़ जमीन और उसने इस साल लोगों से 10 एकड़ जमीन पट्टे पर लेकर प्याज की खेती की थी। मल्लिकार्जुन पिछले 12 साल से हर साल प्याज की खेती करते हैं। औसतन हर साल 3500-4000 बोरी प्याज का उत्पादन करने वाले मल्लिकार्जुन को सिर्फ एक बार ही वर्ष 2009 में नुकसान उठाना पड़ा। इस बार 2013 मल्लिकार्जुन को एक करोड़ की कमाई हुई। लागत और मजूदरों पर हुई खर्च के बाद भी मल्लिकार्जुन मुनाफे में हैं।
ऐसे नहीं है कि मल्लिकार्जुन को कोई पहली बार प्याज की खेती से एक करोड़ की कमाई हुई है। छह साल पहले 2013 में जब प्याज की कीमतें आसमान छू रही थी तब भी मल्लिकार्जुन को एक करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। हालांकि, वर्ष 2015 में प्याज के महंगे होने के बावजूद मल्लिकार्जुन को सिर्फ ₹ 50 लाख की ही कमाई हुई। बाद के वर्षों में कमाई के साथ मुनाफा भी घटता गया। वर्ष 2018 में तो सिर्फ ₹5 लाख का ही मुनाफा हुआ था। लेकिन, इस बार किस्मत और बाजार ने मल्लिकार्जुन का साथ दिया। बम्पर फसल के साथ ही बम्पर दाम भी मिल गया। आसपास के गांवों में मल्लिकार्जुन की खूब चर्चा है। कई किसान उनसे लाभदायी खेती का गुर सीखने आ रहे हैं।
मल्लिकार्जुन के लिए अक्टूबर तक का समय काफी तनाव भरा था। इलाके में पानी की कमी किसानों के लिए बड़ी चुनौती है, जिसके कारण काश्तकारों की तादाद घटती जा रही है, लेकिन नवंबर के महीना मल्लिकार्जुन के लिए भाग्यशाली साबित हुआ और उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। मल्लिकार्जुन मुनाफे से कर्ज चुका चुके हैं। अब बची हुई राशि से वे एक अच्छा घर बनाना चाहते हैं। साथ ही खेती के लिए और जमीन भी खरीदना चाहते हैं।