script‘बचेगा देश अब कैसे, सरकारें बन गई गजनी’ | 'How will the government become gajani now?' | Patrika News

‘बचेगा देश अब कैसे, सरकारें बन गई गजनी’

locationबैंगलोरPublished: Aug 06, 2019 05:35:46 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

जिसने बख्शा है दर्द उसको दर्दे दिल की दवा नहीं मालूम, ढूंढा मंदिरों मस्जिदों में है कहां पर खुदा नहीं मालूम,

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‘बचेगा देश अब कैसे, सरकारें बन गई गजनी’

बेंगलूरु. साहित्य संगम के तत्वावधान में काव्य-गोष्ठी का आयोजन बनशंकरी स्थित एक सभागार में किया गया। काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता बेंगलूरुके कवि नंद सारस्वत ‘नंद’ ने की।

बतौर मुख्य अतिथि जीवराज पटेल और विशिष्ट अतिथि के तौर पर डॉ. श्रीलता सुरेश उपस्थित थे। नंद सारस्वत ने सभी का धन्यवाद अदा किया और हास्य एवं शृंगार रस की रचनाएं सुनाकर अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय दिया।
मुख्य अतिथि जीवराज पटेल ने जिसने बख्शा है दर्द उसको दर्दे दिल की दवा नहीं मालूम, ढूंढा मंदिरों मस्जिदों में है कहां पर खुदा नहीं मालूम, सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी।

विशिष्ट अतिथि डॉ. श्रीलता सुरेश ने पिता के ऊपर जन्मदाता को प्रणाम, जिसने जीवन दिया उन्हें प्रणाम, रचना सुनाई जिसे श्रोताओ ने खूब सराहा।
काव्य-गोष्ठी का शुभारम्भ स्वर सोनिका की सरस्वती वंदना के साथ हुआ। डॉ. भागीरथ अग्रवाल ने ‘बचेगा देश अब कैसे सरकारें बन गई गजनी, खड़ा हर मोड़ पर रावण हरण होती है नित सजनी’ और राम गोपाल मून्दड़ा ने जीवन कोरा कागज है यह संसार छलावा है…सुनाकर श्रोताओं की वाह वाही लूटी।
अजय यादव, अली अंजुमन ने भावप्रवण रचनाएं सुनाकर काव्य-गोष्ठी को ऊंचाइयां प्रदान की। सुशील कुमार ने देश भक्ति से ओतप्रोत रचनाओं से श्रोताओं में जोश भरा।

रोशनलाल गुप्ता, आशीष कोठारी, प्रशांत उपाध्याय और सादिक ने भी अपनी रचनाएं सुनाकर काव्य गोष्ठी में खूब समा बांधा।
काव्य-गोष्ठी में मदन बलदोटा, श्रीकृष्ण अग्रवाल, रमेश कुमार मिश्रा, पायल बलदोटा, मालती मिश्रा और सोनल कोठारी विशेष रूप से उपस्थित थे।

कार्यक्रम में अली अंजुम का विशेष सहयोग रहा। संचालन अजय यादव ने किया।
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