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बंद होने के कगार पर राज्य के सैकड़ों पुस्तकालय

locationबैंगलोरPublished: Apr 24, 2019 01:28:04 am

कई संगठनों की ओर से मंगलवार को विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया। केंद्रीय साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में लेखक डॉ. चंद्रशेखर कंबार ने राज्य के सैकड़ों पुस्तकालयों के खस्ताहालों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य की विभिन्न नगर निकाय निवासियों से संपत्ति कर के साथ-साथ पुस्तकालय सेस के नाम पर राशि संग्रहित करती हैं।

बंद होने के कगार पर राज्य के सैकड़ों पुस्तकालय

बंद होने के कगार पर राज्य के सैकड़ों पुस्तकालय

संजय कुलकर्णी

बेंगलूरु. कई संगठनों की ओर से मंगलवार को विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया। केंद्रीय साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में लेखक डॉ. चंद्रशेखर कंबार ने राज्य के सैकड़ों पुस्तकालयों के खस्ताहालों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य की विभिन्न नगर निकाय निवासियों से संपत्ति कर के साथ-साथ पुस्तकालय सेस के नाम पर राशि संग्रहित करती हैं। लेकिन इस राशि का सार्वजनिक पुस्तकालय विभाग को हस्तांतरण नहीं किया जा रहा है। इसके परिणाम स्वरूप राज्य में सार्वजनिक पुस्तकालयों का निर्वहन करना असंभव हो रहा है।


सार्वजनिक पुस्तकालय विभाग के निदेशक सतीश होसमनी के मुताबिक नगर निकायों को संपत्ति कर के साथ छह फीसदी पुस्तकालय सेस संग्रहित करने का अधिकार दिया गया है। नगर निकायों को यह राशि पुस्तकालय विभाग को हस्तांतरण करना चाहिए। लेकिन कई बार कहने के बाद भी रकम नहीं मिलती, जिससे कई पुस्तकालय बंद होने के कगार पर हैं। मिसाल के तौर पर बीबीएमपी ने वर्ष 2014-15 तथा वर्ष 2015-16 के बीच 240 करोड़, वर्ष 2017-18 के बीच 156 करोड़ तथा वर्ष 2018-19 के बीच 160 करोड़ रुपए का पुस्तकालय सेस संग्रहित किया है। लेकिन इस कार्यकाल के दौरान पुस्तकालय विभाग को केवल 60 करोड़ रुपए दिए।

बीबीएमपी ने अभी तक लगभग 300 करोड़ रुपए से अधिक संग्रहित पुस्तकालय सेस का सार्वजनिक पुस्तकालय विभाग को हस्तांतरण नहीं किया है। इसके कारण पुस्तकालयों को नए पुस्तकों की खरीदी तथा पुराने पुस्तकों की बाइंडिंग करना संभव नहीं हो रहा है। जिसके कारण पुस्तकालयों में सैकड़ों पुस्तक बरबाद हो रही हैं।


बीबीएमपी, बेलगावी, मेंगलूरु, मैसूरु, बल्लारी, हुब्बली-धारवाड, तुमकूरु समेत राज्य की सभी महानगर पालिकाओं में यही हाल है। यहां प्रति वर्ष पुस्तकालय सेस वसूल तो किया जाता है, लेकिन इस राशि का तुरंत हस्तांतरण नहीं किया जाता। इस कारण पुस्तकालय विभाग को कर्मचारियों का वेतन, भवनों का किराया, समाचार पत्र तथा अन्य मासिक साप्ताहिकों के बिल का भुगतान करने में दिक्कतें आ रही हैं। कई आयुक्तों को खत लिखने के बाद इस राशि टुकड़े में जारी करने की रस्म अदायगी की जाती है। कभी भी इस राशि का शत-प्रतिशत हस्तांतरण संभव नहीं हुआ है।


२०० से अधिक पुस्तकालय बंद
शहर में संसाधनों के अभाव में २ दो वर्ष के दौरान 200 से अधिक पुस्तकालय बंद किए गए हैं। यहां के पर्यवेक्षकों को मासिक 6 हजार तथा सहायक को 3000 रुपए का वेतन दिया जाता है। इन कर्मचारियों का वेतन तथा भवन के किराए का भुगतान करना सार्वजनिक पुस्तकालय विभाग के लिए संभव नहीं हो रहा है। कई पुस्तकालयों के निर्वहन का दायित्व निजी कंपनियों को सौंपा गया है।


पंचायतों के हवाले 6500 पुस्तकालय
राज्य सरकार ने हाल में जारी एक आदेश के तहत राज्य के 6,500 से अधिक तहसील तथा ब्लॉक स्तर के पुस्तकालयों को अब पुस्तकालय विभाग से हटाकर स्थानीय जिला तथा तहसील तथा ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित किया गया है।
पहले ही अपर्याप्त संसाधनों की समस्या से जूझ रहे पंचायतों पर अब इन पुस्तकालयों के संचालन का अतिरिक्त भार सौंपा गया है। ऐसे में आनेवाले दिनों में पंचायतों की ओर से इन पुस्तकालयों का कैसे निर्वहन होगा, इस पर सवालिया निशान है।

ठप हो गई समाचार पत्रों की आपूर्ति
दैनिक, साप्ताहिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं के शुल्क का भुगतान नहीं किए जाने से कई पुस्तकालयों को समाचार पत्रों की आपूर्ति भी ठप हो गई है। सार्वजनिक शिक्षा विभाग में शामिल पुस्तकालय विभाग को पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शहरों के पुस्तकालयों का यह हाल है तो तहसील तथा ब्लॉक स्तर पर स्थित पुस्तकालयों की हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। विभाग के अनुदान में लगातार हो रही कटौती से कई पुस्तकालयों को ताला लगाने की नौबत आ गई है।

बीबीएमपी आयुक्त ने भी मानी बकाया राशि की बात
बीबीएमपी के आयुक्त एन. मंजूनाथ प्रसाद ने पुस्तकालय सेस का हस्तांतरण नहीं किए जाने की बात को स्वीकार करते हुए कहा कि जब भी पुस्तकालय विभाग की ओर से राशि को जारी करने की मांग की जाती है। बीबीएमपी की ओर से ऐसी हरसंभव प्रयास किए जाते हैं। इसके बावजूद प्रति वर्ष शहर के निवासियों की ओर से संग्रहित पुस्तकालय सेस राशि का संबंधित विभाग को उसी वर्ष जमा करने के लिए विशेष कार्ययोजना की दरकार है।

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