कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने उदयपुर में कांग्रेस चिंतन शिविर में कहा कि देश की अर्थव्यवस्था दिन-ब-दिन गिरती जा रही है। लोगों को वास्तविकता का पता न चले, यह सुनिश्चित करने के लिए केंद्र तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है। योजना आयोग की जगह लेने वाला नीति आयोग उन तथ्यों को सामने ला रहा है जो भाजपा सरकार चाहती है। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति पर जमीनी आंकड़े मुहैया कराने वाले एनएसएसओ के सर्वेक्षणों को रोक दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सीएजी, नीति आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक सरकार की धुन पर खेल रहे हैं और ऐसा लगता है कि वे देश के हित को भूल गए हैं। सिद्धू ने कहा कि केंद्र की नीति राज्यों की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रही है। न सिर्फ कर्ज बढ़ा है बल्कि राजकोषीय घाटा भी बढ़ा है। राज्यों को भी राजस्व घाटे की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
सिद्धू ने कहा कि मोदी सरकार ने टैक्स में 8 प्रतिशत की कमी करके उद्यमियों को राहत दी है जबकि उन्हें सत्ता में लाने वाले मतदाता पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से जूझ रहे हैं। सरकार से कॉर्पोरेट टैक्स बढ़ाने का आग्रह करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि जीएसटी शासन को संघीय भावना से जोड़ा जाना चाहिए और राज्यों की अर्थव्यवस्था की रक्षा करनी चाहिए।
सिद्धू ने कहा कि देश महंगाई से जूझ रहा है मगर भाजपा लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सांप्रदायिक और जातिगत तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रही है। सिद्धू ने कहा कि केंद्र अपनी विफलता से खुद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।