इस संबंध में जानकारी देते हुए शहर पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने बताया कि एक से अधिक सिग्नलों के बीच ग्रीन सिग्नल मैचिंग से अधिक वाहनों को आगे जाने में आसानी होगी। शहर में ज्यादा लंबाई वाली सडक़ों में प्रायोगिक रूप से इस तकनीक को अपनाया जाएगा। सडक़ पर वाहन निरंतर आग बढ़ते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रमुख सडक़ों को जोडऩे वाली सडक़ों के सिग्नल को भी जरूरत के अनुसार मैच किया जाएगा। मुख्य सडक़ों में ग्रीन सिग्नल की अवधि अधिक होगी। राव ने कहा शहर में वर्तमान में वाहनों की संख्या 80 लाख से अधिक है। सडक़ों की क्षमता केवल 25 से 30 लाख वाहनों की है। पीक आवर में किसी भी समय यातायात जाम हो सकता है। ऐसे अवसर पर सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन व्यवस्था का काम मुश्किल में पड़ सकता है। इसलिए सिग्नल में वाहनों को समूह के रूप में धीरे-धीरे छोडऩा उचित रहेगा। सडक़ों पर वाहनों के जाम के अनुसार सेंसर के माध्यम से सिग्नल लाइटों को समायोजित करने की व्यवस्था 35 जंक्शन में की गई है।
शहर परिवहन विशेषज्ञ एमएम श्रीहरि ने बताया कि सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन अच्छा उपाय होगा। मगर इसे अपेक्षाकृत लंबी सडक़ों पर ही प्रयोग किया जा सकता है। इसे ग्रीन कॉरिडोर भी कहा जा सकता है। पीक ऑवर में कुछ समस्या हो सकती है। प्रमुख सड़क़ों से जुडऩे वाली अन्य सडक़ों पर भी इसका असर पड़ सकता है।