उन्होंने कहा कि आजादी के 70 वर्षों के बाद भी हम समाज के इस वर्ग के साथ सामाजिक न्याय करने में विफल रहे हैं। इस समाज का संघर्ष का सफर काफी लंबा है। सामाजिक न्याय का सपना पूरा करने के लिए इस वर्ग को संगठित संघर्ष करना होगा।
उन्होंने कहा कि उनका परिवार निर्धन था। उनके पिता कृषि मजदूर थे। लेकिन, इसके बावजूद शिक्षा का महत्व समझते हुए उनके पिता निरक्षर होने के बावजूद उनको उच्च शिक्षा दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया था। शिक्षा प्राप्त करने के कारण से ही वे राजनीति में इस मुकाम पर पहुंचे। अगर शिक्षा नहीं होती तो आज वे उनके समुदाय के अन्य लोगों की तरह मैसूरु जिले के सिद्धरामयनहुंडी गांव में भेड़ बकरियां चराते।