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कुमारस्वामी अगर सस्ता तेल चाहते हैं उपकर हटाएं : भाजपा

locationबैंगलोरPublished: Sep 11, 2018 12:30:39 am

मैसूरु सांसद प्रताप सिम्हा का कुमारस्वामी को चुनौती

Today, fueled by petrol and diesel prices

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मैसूरु. पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के आक्रोश में सोमवार को भारत बंद के दौरान आम लोगों का सीधा कहना था कि केन्द्र और राज्य सरकार दोनों को टैक्स पर छूट देना चाहिए। इस बीच कर्नाटक में भाजपा ने राज्य की सत्तारुढ कुमारस्वामी सरकार से मांग की है कि वह राज्य में पेट्रोलियम उत्पादों पर उपकर हटाए।
भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर वे (कुमारस्वामी) राज्य में सस्ता तेल चाहते हैं तो उन्हें उपकर हटाना चाहिए जिसे राज्य सरकार ने लगाया है। सिम्हा ने कहा कि कुमारस्वामी सरकार ने हाल ही में पेश राज्य बजट के दौरन र्इंंधन की कीमतों पर २ प्रतिशत उपकर लगाया था। अगर सच में कुमारस्वामी तेल की बढती कीमतों से चिंतित हैं तो उन्हें उपकर समाप्त कर देना चाहिए।
डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोर होती स्थिति और तेल की बढती कीमतों को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत एनडीए सरकार की हो रही आलोचना पर सिम्हा ने कहा कि मैं जद-एस सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और मुख्यमंत्री कुमारस्वामी से कहता हूं कि आप सुझाव दीजिए कि किस प्रकार से रुपए और तेल की कीमतों को नियंत्रित किया जाए। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो बेबुनिदायी आलोचना नहीं करनी चाहिए। सिम्हा ने आरोप लगाया कि राज्य की गठबंधन सरकार ने भारत बंद के दौरान सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया। मौजूदा समय में राज्य में पेट्रोल पर 32 प्रतिशत और डीजल पर 21 प्रतिशत टैक्स है।
जूुन-2018 में राज्य में कांग्रेस और जद-एस की गठबंधन सरकार बनी थीद्ध सरकार गठन के तुरंत बाद ही कुमारस्वामी सरकार ने 5 जुलाई को पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त सेस लगाया था जिस कारण राज्य में इनकी कीमतें और ज्यादा बढ गई थी और जनता को महंगाई का रिटर्न गिफ्ट मिला था। अब देश में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने के बाद आम जनता और विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों सरकारें टैक्स में छूट दें तो इससे जनता को बड़ी राहत मिलेगी और लोगों को प्रति लीटर पर 10 रुपए तक कम भुगतान करना होगा। हालांकि कर्नाटक सरकार ने अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है जबकि केन्द्र सरकार की फिलहाल टैक्स में रियायत देने की कोई मंशा नहीं दिख रही है।
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