बैंगलोर

जो देखना है नारी की उड़ान, तो ऊंचा करो आसमान

राजस्थान पत्रिका स्थापना दिवस कार्यक्रम

बैंगलोरJan 24, 2023 / 07:23 pm

Yogesh Sharma

जो देखना है नारी की उड़ान, तो ऊंचा करो आसमान

बेंगलूरु. राजस्थान पत्रिका बेंगलूरु के 28वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार को राजस्थान पत्रिका और सखी सहेली के संयुक्त तत्वावधान में महिलाएं कैसे बनें स्वावलम्बी विषय पर चामराजपेट स्थित आदर्श कॉलेज के सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला मेंं विभिन्न महिला संगठनों से जुड़ी महिलाओं ने शिरकत की।
इस अवसर पर छह विशेषज्ञ महिलाओं ने अपनी सफलता का राज साझा किया। दीप प्रज्वलन और नवकार मंत्र से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। पिंका भंसाली और रिंकू बाफना ने नवकार मंत्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन निशा टुकलिया के राजस्थानी गीत पल्लो लटके पर नृत्य से हुआ।समारोह के मुख्य अतिथि समाजसेवी महेंद्र मुणोत ने कहा कि जो देखना है नारी की उड़ान को तो ऊंचा करो आसमान को। उन्होंने कहा कि एक महिला ही होती है जो दो परिवारों का ध्यान रखती है। यहां इतनी तादाद में महिलाओं को देखकर लग रहा है सूरज की तेज धूप में इंद्रधनुष पृथ्वी पर उतर आया है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे आदर्श शिक्षण समूह के अध्यक्ष पदमराज मेहता ने कहा कि राजस्थान पत्रिका हिंदुस्तान में हिंदी पत्रकारिता जगत का अनुपम हस्ताक्षर हैं और दक्षिण भारत में भी हिन्दी भाषा की अद्वितीय, अनुकरणीय सेवाएं की हैं। उन्होंने कहा कि आदर्श कॉलेज ने कई छात्राओं को स्वावलंबी नारी बनाने में उत्कृष्ट भूमिका निभाई हैं और नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में अहम फैसले लिए हैं।राजस्थान पत्रिका के मेट्रो हैड अभिषेक सिंघल ने कहा कि नारी हमें जोड़ने वाला सूत्र है। गृहिणी के घर में काम करने का मूल्यांकन किया जाए वह बहुत ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि बड़ी-बड़ी कंपनियां जो कोचिंग हमें देती हैंं। वहीं कोचिंग हमारे घर की महिलाएं निशुल्क देती हैं। जब हम परेशान होते हैं तो घर की महिलाएं भी हमें संबल प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि यह कहा जाए कि महिलाएं कुछ काम नहीं करती हैं तो यह कहना पूरी तरह गलत होगा। घर को संचालित करने में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है। उन्होंने कहा कि होममेकर के रूप में किए जाने वाले महिलाओं के काम को भी आंका जाना चाहिए।
आयकर अधिकारी एकता जैन ने कहा कि नारी स्वावलंबन का सबसे पहला पहलू है कि महिलाओं में आत्मविश्वास जगाया जाए।महिलाओं में आत्मविश्वास होना जरूरी है। नारी शुरू से ही आर्थिक रूप से मजबूत रही है। उन्होंने भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला का उदाहरण सबके समक्ष रखा। उन्होंने महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए लगन और हिम्मत रखने की सीख दी।गायिका एकता शाह ने कहा कि लड़की और लड़का एक ही होते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मां व नानी की बदौलत ही उन्होंने गायकी का सफर शुरू किया। 90 के दशक में संगीत को कॅरियर नहीं माना जाता था। मंदिर से भक्ति संगीत का शुरू हुआ सफर आज बॉलीवुड की शान बन चुका है। वे अब नए गायकों को गायकी का मौका दे रही हैं।
आरबीएल बैंक की वाइस प्रेसिडेंट भारती छाजेड़ ने कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यदि परिवार का पूरा सहयोग मिले तो महिलाएं किसी से पीछे नहीं रह सकती हैं। उन्होंने अपनी सफलता के लिए पिता व पति सहित ससुराल पक्ष को भी सहयोगी बताया। उन्होंने कहा कि वे संस्थानों में नौकरी कर चुकी हैं। आज वह मेहनत के बल पर आरबीएल बैंक की उपाध्यक्ष पद पर होने के साथ अनेक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं।रेकी ग्रांड मास्टर व पास्ट लाइफ कोच डॉ.अंजली जैन ने कहा कि बहुत सारे लोगों तक हमारी बात पहुंचाने में मीडिया बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि 300 रुपए प्रतिमाह के ट्यूशन से उन्होंने अपने सफर की शुरुआत की। बीकॉम तक अध्ययन करने के बाद उन्होंने बेंगलूरु में ही ज्वेलर्स के शोरूम में 8000 रुपए में नौकरी शुरू की। इसके बाद उनकी शादी हो गई। शादी के बाद उन्होंने रेकी व अन्य विषयों में पढ़ाई शुरू की और आज वे इस मुकाम पर हैं।
सखी सहेली की संस्थापिका नीलम ललवानी का कहना है उन्होंने सखी सहेली का गठन करते वक्त यह बात दिमाग में रखी कि इसके द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए। मेरी हर दम कोशिश रहती है कि हर महिला को मंच पर बोलने का अवसर दिया जाए और उनमें जो भी हुनर है वह बाहर आए। सखी सहेली के हर कार्यक्रम में स्वास्थ्य पर चर्चा होती है और हमारी सांस्कृतिक विरासत का विशेष ध्यान रखा जाता है।बीजेएस की स्मार्ट गर्ल प्रोजेक्ट की कर्नाटक हैड एसपी मालिनी ने कहा कि जब आप एक लड़के को शिक्षित करते हैं, तो केवल एक लड़का ही शिक्षित होमा है। जब एक लड़की को शिक्षित करते हैं तो पीढ़ियां शिक्षित होती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं ही हैं जो अपने बच्चे और परिवार के लिए त्याग करने के लिए तैयार रहती हैं। आज के बदलते युग में केवल त्याग करना ही पर्याप्त नहीं है। हमें बदलाव के लिए तैयार होना है। महिलाओं को अतिरिक्त भूमिका निभानी होगी और शिक्षित करना होगा।
सीए मनीषा मेहता ने कहा कि एक ही जीवन है जो हमें करना है वह इसी जीवन में करना होगा। इस अवसर का भरपूर इस्तेमाल करें। अपने पेशे के साथ वह काम भी करें जिससे आप को खुशी मिलती हो। परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने अपने नृत्य प्रशिक्षण को जारी रखा। उन्हें अपने परिवार को मनाने में तीन साल लग गए लेकिन वे निशुल्क प्रशिक्षण देती रहीं। इसके बाद वे पेशेवर नृत्य प्रशिक्षक बन गई और अब तक दस हजार से अधिक को नृत्य सिखा चुकी हैं।इस अवसर पर राजस्थान पत्रिका के बेंगलूरु संस्करण संपादकीय प्रभारी कुमार जीवेंद्र झा भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में जीतो बेंगलूरु साउथ महिला विंग की अध्यक्ष सुनीता गांधी, तेरापंथ महिला मंडल हनुमंतनगर की पूर्व अध्यक्ष मंजू दक, भारती श्रीवास्तव, एंकर बिंदू मेहता, मातृछाया महिला मंडल की त्रिशला कोठारी, कांता समदडिय़ा, सारिका, गीता संचेती, वंदना जैन, किरण, काजल जैन, सुजाता आदि उपस्थित थे। राजकुमारी चांदावत ने कार्यक्रम की पूरी व्यवस्था संभाली।कार्यक्रम का संचालन सखी की संस्थापक नीलम ललवानी ने ठेठ राजस्थानी भाषा में किया। आभार राजस्थान पत्रिका के राजीव मिश्रा ने जताया।

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