योजना के मुखिया व शोधकर्ता प्रो. सतीश ए. पाटिल और प्रो. अशोक शुक्ला ने बताया कि स्कूल प्रशासन के साथ मिलकर भाविसं की टीम ने स्कूल में सौर ऊर्जा इकाई स्थापित की है। प्राथमिक उद्देश्य रुक-रुक कर बिजली (electricity) की आपूर्ति की बड़ी समस्या को दूर कर कम-से-कम कक्षाओं को रोशन करना है। ताकि पढ़ाई प्रक्रिया बाधित नहीं हो। बच्चे अच्छा अनुभव करें।
प्रो. पाटिल और प्रो. शुक्ला का शोध सौर कोशिकाओं की लागत कम करने और उत्पन्न विद्युत को बैटरी या सुपरकैपेसिटर में संग्रहीत करने पर केंद्रीत है। ताकि मांग के अनुसार बिजली का इस्तमाल हो सके। प्रयोगशाला में उत्पन्न ज्ञान को निकालकर सौर ऊर्जा के माध्यम से सुदूर गांव के स्कूलों तक पहुंचाना लक्ष्य है।
ग्लोबल चैलेंज रिसर्च फंड (जीसीआरएफ) द्वारा वित्त पोषित भारतीय सौर ऊर्जा में क्रांति लाने के लिए सामरिक विश्वविद्यालय नेटवर्क (एसयूएनआरआइएसइ) के तहत चार वर्षीय यूनाइटेड किंगडम-भारत प्रोजेक्ट जारी है। विकासशील देशों की चुनौतियों के समाधान के लिए शोध में मदद के लिए जीसीआरएफ की स्थापना हुई है। जिन सुदूर गांवों तक बिजली ग्रिड से बिजली नहीं पहुंच पाती है, उन गांवों में सौर ऊर्जा इकाई स्थापित करने पर जीसीआरएफ विशेष रूप से ध्यान दे रहा है।
चार वर्ष में प्रदेश के 50 सुदूर गांवों के स्कूलों में सौर ऊर्जा इकाई स्थापित करने की योजना है। आइसीयू युक्त अस्पतालों को बिजली की समस्या से निजात दिलाना भी लक्ष्य है।