लेखक रोहित चक्रतीर्थ की अध्यक्षता वाली पाठ्यपुस्तक संशोधन समिति ने डॉ. हेडगेवार के भाषण पर केंद्रित पाठ को पाठ्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश की थी। इसे पाठ को निजावदा आदर्श पुरुष यारागाबेकु? (असली रोल मॉडल कौन होना चाहिए?) शीर्षक से शामिल किया गया है।
समिति ने मार्च में अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। लेखक पी. लंकेश की मृगा मट्टू सुंदरी और वामपंथी विचारक जी. रामकृष्ण के भगत सिंह को पाठ से हटाया गया है। लेखक शिवानंद कलावे की स्वदेशी सूत्रदा सरला हब्बा और एम गोविंदा पै की नानु प्रसा बिट्टा कथे को जोड़ा गया है। कुछ अन्य पाठों को भी हटाकर नई सामग्री जोड़ी गई है।
लेखकों, साहित्यकारों सहित कुछ संगठनों पाठ्य सामग्री में बदलाव की आलोचना की है। शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने समिति की सिफारिशों और बदलाव का बचाव किया। देश कई राज्यों में सरकार बदलने के साथ ही पाठ्यक्रम बदलने की कवायद की परंपरा चल उठी है। अपने—अपने विचारधारात्मक रवैये के हिसाब से पाठ्यक्रम में बदलाव किए जाते रहे हैं।
इस ताजा घटनाक्रम से पहले भी कर्नाटक में पूर्व मैसूरु साम्राज्य शासक टीपू सुल्तान से जुड़े अध्यायों में संशोधन या उसे निरस्त करने को लेकर सत्तापक्ष—विपक्ष में टकराव रहा है। इस मामले में भी ऐसा होेता दिख रहा है।