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आयकर दायरा बढ़े, जीएसटी घटाएं-मेहता

locationबैंगलोरPublished: Jan 20, 2022 08:04:32 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

आम बजट 2022 से उम्मीदें

Rajesh Mehata

आयकर दायरा बढ़े, जीएसटी घटाएं-मेहता

योगेश शर्मा
बेंगलूरु. केन्द्र सरकार के आगामी बजट में आयकर छूट की सीमा ढ़ाई से बढ़ाकर पांच लाख तक की जाए तो पांच लाख से अधिक आय वाले भी लाभान्वित हो सकेंगे। सरकार ने गत छह वर्ष से आयकर छूट की सीमा नहीं बढ़ाई है। व्यक्तिगत आयकर के लिए बनाए गए दो अलग-अलग स्लैब को खत्म कर एक ही स्लैब बनाया जाना चाहिए ताकि आयकर दाताओं में किसी प्रकार का कोई कन्फ्यूजन नहीं रहे। सरकार को जीएसटी दरों में कमी कर कोरोना महामारी का दंश झेल रहे छोटे व्यापारियों को राहत प्रदान करनी चाहिए।
बेंगलूरु के चार्टर्ड अकाउंटेंट व जीतो के कोषाध्यक्ष राजेश मेहता ने पत्रिका से विशेष साक्षात्कार में कहा कि आयकर में 2.5 लाख की छूट थी वह वर्ष 2015 के बजट में दी गई थी। इसमें अभी तक कोई रद्दोबदल नहीं किया गया है। वर्ष 2015 में सोने का भाव 2600 रुपए प्रति ग्राम था जो अब करीब दो गुना हो चुका है। पेट्रोल का दाम करीब 60 रुपए लीटर था। अब इन दोनों के दाम दो गुना तक हो गए हैं। जबकि आयकर में छूट अभी भी 2.5 लाख की ही चल रही है। हर बजट में नौकरी पेशा और व्यापारी उम्मीद रखता है कि इस बार आयकर का दायरा बढ़ेगा। लेकिन पिछले कई वर्षों से ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि आयकर छूट का दायरा पांच लाख रुपए या इससे अधिक किया जाना चाहिए। उन्होंने माना कि हालांकि पांच लाख रुपए से कम आय वालों को अभी भी आयकर नहीं देना पड़ रहा है। लेकिन वह केवल पांच लाख की सालाना आय से कम वालों के लिए है। पांच लाख से अधिक आय वालों को पूरा कर देना पड़ रहा है।
मेहता ने कहा कि व्यक्तिगत आयकर के लिए दो तरह की व्यवस्था होने से कन्फ्यूजन बढ़ा है। इससे सीए का काम भी बढ़ा है। इस व्यवस्था को अधिक आय वाले लोगों ने सर्वाधिक अपनाया है। अधिकांश लोग इसका फायदा भी उठा रहे हैं। इसमें छूट देने के लिए अभी भी काफी संभावनाएं हैं। इसमें सुधार की भी काफी गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि दो तरह के कर स्लैव होने से करदाताओं में कन्फ्यूजन जरूर बढ़ा है। वर्तमान परिदृश्य में एक तरह के स्लैब की आवश्यकता है। वहीं बचत की छूट को भी इस व्यवस्था में जोड़ा जाना चाहिए।
मेहता ने कहा कि नए स्लैब में भी 80 सी की छूट देनी चाहिए। इससे लोगों में बचत की आदत बढ़े और जो पहले से अपनी बचत की आदत चलती आ रही है। सरकार चाहती है कि आम लोग बचत नहीं करें और अपना आयकर नियमित रूप से जमा कराएं। लेकिन बचत की आदत से बहुत फायदा होगा। बचत किया पैसा जरूर काम आएगा।
कोरोना के इलाज के लिए मिले छूट
मेहता की मानें तो कोविड से आम लोग काफी प्रभावित हुए हैं, वर्क फ्रॉम होम से भी असर पड़ा है। केन्द्र सरकार को ऐसा नियम या कानून बनाना चाहिए जिसमें कोरोना पर खर्च की गई राशि को आयकर में छूट दी जानी चाहिए। मेडिक्लेम की धारा 80 डी में कोरोना के इलाज के लिए विशेष या अतिरिक्त छूट देनी चाहिए। कोरोना से अनेक परिवार बर्बाद हो रहे हैं। ऐसे में आयकर की मार से परिवार तिलमिला जाता है। इस दोहरी मार से छुटकारा दिलाना चाहिए।
छोटे व्यापारियों को बहुत प्रोत्साहन की जरूरत
उन्होंने बताया कि केन्द्र व राज्य सरकारें अभी भी एमएसएमई को महत्व नहीं दे रही हैं। सरकार की नजर में एमएसएमई कोई मायने नहीं रखती है। लगता है छोटे व्यापारियों से सरकार को कोई लेना देना नहीं है। हालांकि ऋण की अनेक योजनाएं एमएसएमई के लिए लाए हैं। अभी भी छोटे व्यापारियों को बहुत प्रोत्साहन की जरूरत है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान सबसे ज्यादा मार छोटे व्यापारियों पर पड़ रही है।
जीएसटी की दरों में कमी हो
उन्होंने कहा कि व्यापारियों को राहत देने के लिए जहां जीएसटी की दरों में कमी करनी चाहिए। सरकार को कोरोना महामारी के दौरान तो जीएसटी की दरें कम करने पर जरूर विचार करना चाहिए। तीन-तीन महीने कोरोना की मार झेलने के बाद व्यापारी अपने काम पर पहुंचा तो उसे अनेक तरह के रिटर्न फाइल करने पड़े। आयकर व जीएसटी की ऑडिट करानी पड़ी। सरकार को इन झमेलों से राहत प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आयकर में 15 जेजेएए है। यह रोजगार से संबंधित है। उसमें भी छूट की दर को बढ़ाना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रेाजगार मिले।
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