कंपनियों के अनुसार परिवहन लागत के कारण उनके लिए एनपीपीए द्वारा तय दरों पर ऑक्सीजन का निर्माण और आपूर्ति संभव नहीं है।
ऐसे में पीएचएएनए ने राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण को पत्र लिख हस्तक्षेप की अपील की है।
एक कंपनी का जिक्र करते हुए पीएचएएनए के अध्यक्ष डॉ. आर. रविंद्र ने बताया कि कंपनी निजी अस्पतालों को मेडिकल ऑक्सीजन और सिलेंडर की आपूर्ति तो कर रही है लेकिन ज्यादा कीमत पर। तय कीमत 23.52 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर है। जिसमें पांच रुपए माल भाड़ा और 12 प्रतिशत कर शामिल हैं। लेकिन कंपनी अब प्रति क्यूबिक मीटर करीब 40 रुपए वसूल रही है। नई कीमत पर ऑक्सीजन नहीं लेने पर कंपनी ने आपूर्ति बंद करने की चेतावनी दी है। ऐसे में निजी अस्पतालों पर वित्तीय बोझ बढ़ा है।
प्रदेश अपर औषधि नियंत्रक एवं लाइसेंसिंग प्राधिकरण अमरेश तुंबगी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने मामले की मौखिक जानकारी दी है। एक निजी अस्पताल ने शिकायत की है। मामले की जांच व सामने आए तथ्यों के आधार पर उचित कार्रवाई होगी। सुनिश्चित करेंगे कि संबंधित कंपनी तय दरों, आपूर्ति और गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन नहीं करे। कंपनियों को समय पर ऑक्सीजन की निर्बाधित आपूर्ति के निर्देश दिए गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोविड के करीब 15 फीसदी मरीजों के फेफड़े ठीक से काम नहीं करते हैं। सांस लेने के लिए मदद की जरूरत पड़ती है। कुछ मरीजों में सांस लेने की तकलीफ तो नहीं दिखाई पड़ती है लेकिन उनमें खतरनाक स्तर पर ऑक्सीजन की कमी देखी गई है। ऐसे मरीजों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति सबसे अहम है। लेकिन यह टेढ़ी खीर साबित हो रही है।