वे रविवार को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर निम्हांस (Nimhans) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हमें मानसिक समस्याओं के इलाज के पारंपरिक तरीके को समझने की जरूरत है। हमारे सभी त्योहार मानसिक उपचार का हिस्सा थे। धार्मिक और सामाजिक आयोजनों पर सुबह और शाम की प्रार्थना और हमारी आरती सभी हमारे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हैं। ये परंपराएं मानसिक समस्याओं का इलाज करती थीं। मैं सोच रहा हूं कि क्या हम अपने पाठ्यक्रम में अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में हमारी परंपराओं की भूमिका को शामिल कर सकते हैं?’
मंडाविया ने कहा कि विशेषज्ञों को पारंपरिक पारिवारिक संरचना का अध्ययन करना चाहिए। उनके अनुसार इससे कई मानसिक समस्याएं स्वत: ठीक हो जाती हैं।
मंडाविया ने सलाह दी कि निम्हांस को अपने छात्रों को शोध करने के लिए कार्य देना चाहिए न कि उन्हें केवल पुस्तकों का अध्ययन करने और परीक्षा में उत्तीर्ण करने तक सीमित करना चाहिए। उन्होंने अफसोस जताया कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली से देश को वह नहीं मिल सका जो मिलना चाहिए था।
भौतिकवादी दुनिया, सिमटा परिवार
स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना होगा। देश में सात में से एक व्यक्ति को कोई न कोई मानसिक समस्या से जूझना पड़ रहा है। यह हल्का, मध्यम या गंभीर हो सकता है। लोग धार्मिक विश्वासों के साथ रहते हैं। पहले लोग बड़े संयुक्त परिवार में रहते थे। लेकिन बीते दो से तीन दशकों के दौरान लोग एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने लगे। 21वीं सदी अत्यंत भौतिकवादी दुनिया रही है। अब तो कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग भी प्रतिस्पर्धा, तनाव व अवसाद के शिकार हो चले हैं। ज्यादातर मानसिक बीमारियों को दवाइयों से ठीक किया जा सकता है। कई बीमारियों से छुटकारे के लिए दवा की भी जरूरत नहीं है। योग और ध्यान से इन समस्याओं से काफी हद तक निपटा जा सकता है। सहानुभूति, करुणा और एक रहना हमेशा मानसिक स्वास्थ्य को बेहरत बनाए रखेगा। हैरत है कि आज कई लोग दादा और दादी तो क्या अपने माता-पिता को भी साथ नहीं रख रहे हैं।
कई महिलाएं अविवाहित रहनने की इच्छुक
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि समाज ऐसी स्थिति का सामना कर रहा है जहां अब कई आधुनिक भारतीय महिलाएं अविवाहित रहना चाहती हैं। शादी कर भी लें तो मां नहीं बनना चाहती हैं। संतान के लिए सरोगेसी पर निर्भर हो चली हैं। यह चिंता का विषय है। मानसिक समस्याओं को समझकर जड़ से खत्म करने का प्रयास करना होगा।
24 लाख से ज्यादा मरीजों की काउंसलिंग
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने लोगों को मानसिक रूप से प्रभावित किया। प्रदेश सरकार ने निम्हांस की मदद से कोविड के 24 लाख से ज्यादा मरीजों की काउंसलिंग की।
निम्हांस की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति और सांसद पी. सी. मोहन भी इस अवसर पर उपस्थित थे।