बैंगलोर

व्यस्ततम क्षेत्रों में बढ़ी इंदिरा कैंटीन की लोकप्रियता

शहर के मैजेस्टिक, चिकलालबाग, मल्लेश्वरम, यशवंतपुर, कृष्णराजा मार्केट, नवरंग चौराहा, अग्रहार दासरहल्ली, दीपांजलि नगर, मडिवाला, मुरगेशपाल्या जैसे क्षेत्रों में स्थापित इंदिरा कैंटीन की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है।

बैंगलोरJun 14, 2018 / 10:13 pm

शंकर शर्मा

व्यस्ततम क्षेत्रों में बढ़ी इंदिरा कैंटीन की लोकप्रियता

बेंगलूरु. शहर के मैजेस्टिक, चिकलालबाग, मल्लेश्वरम, यशवंतपुर, कृष्णराजा मार्केट, नवरंग चौराहा, अग्रहार दासरहल्ली, दीपांजलि नगर, मडिवाला, मुरगेशपाल्या जैसे क्षेत्रों में स्थापित इंदिरा कैंटीन की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। शहर में करीब २०० ऐसे कैंटीन हैं, जहां पर 5 रुपए में नास्ता तथा 10 रुपए में भोजन परोसा जा रहा है।
शहर के व्यस्ततम मैजेस्टिक क्षेत्र में मेट्रो रेलवे स्टेशन के निकट स्थापित इंदिरा कैंटीन में सबसे अधिक भीड़ रहती है। यहां पर सुबह 500 लोग नास्ता के लिए तथा 3 हजार से अधिक लोग दोपहर तथा रात काभोजन कर रहे हैं।


बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका के प्रशासनक सूत्रों के मुताबिक मल्लेश्वरम, चिकपेट, गांधीनगर, के.आर. मार्केट में स्थापित ऐसे कैंटीन में लोगों की अधिक भीड़ हो रही है। ऐसे कैंटीन के लिए मांग के अनुपात में नाश्ता तथा भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। व्यस्ततम क्षेत्रों की तुलना में विजयनगर, जयनगर, गोविंदराज नगर, मागड़ी रोड, हेब्बाल जैसे क्षेत्रों में स्थापित इंदिरा कैंटीन में भीड़ कम रहती है।


मल्लेश्वरम में मंत्री मॉल के निकट स्थापित इंदिरा कैंटीन का लुत्फ आस-पास के क्षेत्रों में स्थित कॉलेज के छात्र उठा रहे हैं। विक्टोरिया, निम्हांस, किदवई जैसे अस्पतालों के परिसर में ऐसे कैंटीन की मांग की जा रही है।

भाषा नीति लागू नहीं करने वाले स्कूलों की मान्यता होगी रद्द
बेंगलूरु. कन्नड़ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एस.जी. सिद्धरामय्या ने कन्नड़ माध्यम भाषा ननीति को लागू नहीं करने वाले निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने के कदम उठाने की चेतावनी दी है।


उन्होंने बुधवार को यहां विकास सौधा में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने बेंगलूरु दक्षिण, उत्तर, ग्रामीण, शैैक्षणिक जिलों के बीईओ, डीडीपीआई के साथ बैठकें की हैं। बेंंगलूरु दक्षिण वृत्त के डीडीपीआई व बीईओ ने अधिकतर स्कूलों का दौरा किया है और भाषा कानून को लागू करने के ईमानदारी से प्रयास किए हैं। लेकिन उत्तरी वृत्त के डीडीपीआई पूरी तरह से असमर्थ साबित हुए हैं।


ग्रामीण क्षेत्रों में निजी स्कूलों की संख्या कम होने के कारण यह कानून इतना असर दार नहीं होगा। अंग्रेजी माध्यम की सीबीएसई, आईसीएसई सहित किसी भी पाठ््यक्रम वाली स्कूलों में कन्नड़ को प्रथम अथवा द्वितीय भाषा के तौर पर पढ़ाना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर 1915 के कानून के अनुसार डीडीपीआई दंडित करेंगे और दूसरे चरण में ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द करने का प्रावधान है।


उन्होंने कहा कि अगले 15 दिनों के भीतर सभी स्कूलों को कन्नड़ भाषा माध्यम लागू करना होगा और मना करने वाली स्कूलों की बिना किसी रियायत के मान्यता रद्द कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कन्नड़ विकास प्राधिकरण विशेेष दल का गठन करके स्कूलों का औचक निरीक्षण करेगी। इस दौरान भाषा नियम लागू नहीं करना पाए जाने पर ऐसे स्कूलों की मान्यता तत्काल रद्द करने की सिफारिश कर दी जाएगी।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.