समुद्री यातायात पर रखी जाएगी उपग्रहों से नजर
बैंगलोरPublished: Aug 27, 2018 08:10:27 pm
भारत-फ्रांस संयुक्त रूप से तैयार करेंगे उपग्रहों की श्रृंखला, अगले वर्ष से मिशन की तैयारी
बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनइएस समुद्री निगरानी के लिए उपग्रहों की एक श्रृंखला तैयार करेंगे जिसे अंतरिक्ष में एक नक्षत्र की तरह स्थापित किया जाएगा। इस मिशन की तैयारी अगले वर्ष से शुरू हो जाएगी।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार दोनों देशों ने अपने-अपने हितों को ध्यान में रखकर इसकी योजना तैयार की है। इसके तहत इन उपग्रहों की डिजाइनिंग इस तरह से की जाएगी कि भू-मध्य सागर से लेकर हिंद महासागर तक एवं प्रशांत और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों पर नजर रखी जा सकेगी। उपग्रहों की श्रृंखला के लिए दोनों देशों की समुद्री एजेंसियों की राय ली गई है और उसे अमल में लाया जाएगा। इससे पहले भारत और फ्रांस ने इसी वर्ष मार्च में एक करार किए थे जिसके तहत दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया था। करार में कहा गया था कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनइएस संयुक्त रूप से तकनीकों का विकास करेंगे और नए उत्पाद बनाएंगे। इसमें स्वचालित पहचान प्रणाली के विकास पर बल दिया गया जिससे जमीन और समुद्री परिसंपत्तियों की निगरानी और सुरक्षा की जा सके। विशेष रूप से समुद्री निगरानी के लिए उपग्रहों की एक श्रृंखला तैयार करने पर सहमति बनी जिसे अंतरिक्ष में एक नक्षत्र की तरह स्थापित किया जाएगा।
इस परियोजना में हिंद महासागर को विशेष महत्व मिला है क्योंकि चीन की बढ़ती उपस्थिति के कारण यह क्षेत्र काफी संवेदनशील हो गया है। अधिकारियों के मुताबिक उपग्रहों की श्रृंखला तैयार करने का मुख्य उद्देश्य समुद्री यातायात की निगरानी एवं प्रबंधन है। भारत और फ्रांस दोनों की हितों की रक्षा के लिए हिंद महासागर बेहद महत्वपूर्ण है। हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी फ्रांस के हित शामिल हैं। दोनों देशों ने इसके अलावा जलवायु परिवर्तन और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के अध्ययन के लिए मेघा ट्रॉपिक्स और सरल-अल्टिका उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है। अभी इंफ्रा-रेड निगरानी के लिए त्रिशा और ओशियनसैट-3- अर्गोस मिशन की भी तैयारी चल रही है।