साधना सभी आराधना का सार
बेंगलूरु. हनुमंतनगर जैन स्थानक में साध्वी सुप्रिया ने कहा कि मन को ध्यान साधना के बल पर वश में किया जा सकता है। मन बड़ा चंचल है। हमारे मन में चालीस शेरों की ताकत होती है। उन्होंने कहा कि मौन रहकर भी मन को साधा जा सकता है। प्रभु महावीर ने मन की साधना मौन को बताया है। उन्होंने ध्यान साधना को सभी आराधना का सार और सभी कार्यों में सफलता पाने का मूलमंत्र बताया। तन-मन को शांत, शुद्ध, पवित्र बनाने के लिए महापुरुषों ने भी चार शिक्षा सूत्र बताए हैं। उन्होंने अंतगड़ दसा सूत्र की विवेचना करते हुए वासुदेव श्रीकृष्ण भगवान, माता देवकी व महान क्षमामूर्तिसाधक मोक्षगामी आत्मा गजसुकुमाल के जीवन चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला। साध्वी सुमित्रा ने आनुपूर्वी जाप का महत्व बताया व मंगलपाठ प्रदान किया। साध्वी सुविधि ने भजन प्रस्तुति दी। संघ की ओर से तेला तप करने वालों का रजत स्मृति चिह्न से बहुमान किया गया। संचालन उपाध्यक्ष अशोक कुमार गादिया ने किया।