scriptकर्नाटक को पानी का हिस्सा हासिल करने का हक : पर्रिकर | Inevitable for Karnataka to get share of Mahadayi water : Goa CM | Patrika News

कर्नाटक को पानी का हिस्सा हासिल करने का हक : पर्रिकर

locationबैंगलोरPublished: Jan 03, 2018 09:04:28 pm

महादयी जल विवाद …गोवा के मुख्यमंत्री बोले, येड्डियूरप्पा को पत्र लिखकर पानी देने की बात कहने की आलोचना पर पलटवार

manohar parikar
पणजी.बेंगलूरु. महादयी नदी जल बंटवारे को लेकर कर्नाटक और गोवा के बीच चल रहे राजनीतिक विवाद के बीच गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पॢरकर ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक को अपने हिस्से का पानी हासिल करने का पूरा हक है।
पर्रिकर ने यह बात कर्नाटक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी एस येड्डियूरप्पा को लिखी गई चि_ी पर उपजे विवाद के परिपे्रक्ष्य में कही। पर्रिकर ने येड्डियूरप्पा को लिखे पत्र में कहा था कि गोवा कर्नाटक को पेयजल आवश्यकताओं को पानी देने के लिए तैयार है लेकिन पानी की मात्रा बातचीत के जरिए तय होगी। जहां कर्नाटक में येड्डियूरप्पा के बयान और पर्रिकर की चि_ी को लेकर राजनीति गर्म है वहीं गोवा में भी कुछ संगठन पर्रिकर के कर्नाटक को पानी देने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। पत्र लिखने के लिए हो रही आलोचनाओं पर पर्रिकर ने कहा कि कर्नाटक के लिए अपने हिस्से का पानी हासिल करना अपर्रिहार्य है। गोवा ने कहा कि जो लोग इससे अलग सोचते हैं वे सपनों में जी रहे हैं और वास्तविकता से दूर हैं।
पणजी के राज्य सचिवालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पर्रिकर ने कहा कि महादयी पंचाट में भी गोवा का तर्क यही था कि पहले से ही पानी के कम प्रवाह से जूझ रहे महादयी बेसिन से कर्नाटक मलप्रभा नदी में पानी नहीं मोड़े क्योंकि यह कानूनी प्रावधानों के खिलाफ है।
पंचाट के सामने राज्य की ओर से पेश किए गए तर्क का उल्लेख करते हुए पर्रिकर ने कहा कि राज्य ने दस्तावेजों के साथ यह बात कही है कि महादयी नदी से जुड़े तीनों राज्यों-गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में १४५ टीएमसी पानी की जरुरत है लेकिन नदी पर सिर्फ ११५ टीएमसी पानी ही उपलब्ध है। पर्रिकर ने कहा कि राज्य का यही तर्क है कि पहले से ही नदी में पानी का प्रवाह कम है, ऐसे में इस नदी का पानी लेकर दूसरी नदी में नहीं ले जाया जाना चाहिए।
पर्रिकर ने कहा कि येड्डियूरप्पा को लिखे पत्र में मानवीय आधार पर पानी देने की बात कहना गोवा के हितों के खिलाफ नहीं है। पर्रिकर ने कहा कि अगर कोई पत्र के तथ्यों को लेकर कुछ और सोचता तो वह कुछ नहीं कर सकते। इस मसले पर उनका रुख बिल्कुल साफ है और वे समय-समय पर इसे दुहराते भी रहे हैं। गौरतलब है कि पर्रिकर को अपने पत्र के कारण मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और समर्थक दलों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।
पर्रिकर सरकार में मत्स्य मंत्री और गोवा फारवर्ड पार्टी के नेता विनोद पालयेकर भी कर्नाटक को पानी देने की पेशकश के खिलाफ खुलकर बोल चुके हैं। इसके अलावा गठबंधन सरकार में भागीदार महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने भी इस मसले पर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की है।
गौरतलब है कि महादयी नदी कर्नाटक के बेलगावी से निकलती है और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से गुजरते हुए पणजी में आकर अरब सागर से मिलती है। कर्नाटक में यह नदी २८.८ किमी बहती है जबकि गोवा में ५२ किमी। गोवा में मांडवी कही जाने वाली यह नदी उत्तर गोवा की जीवन रेखा भी है। कर्नाटक इस नदी से ७.५२ टीएमसी पानी लेकर उसका उपयोग कलसा-बंडूरी परियोजना के लिए करना चाहती है जिससे उत्तर कर्नाटक की पेयजल समस्या को दूर किया जा सके। पिछले कई वर्षों से गोवा के विरोध के कारण यह परियोजना अधर में लटकी हुई है।
पानी लेने से नहीं कर सकते मना
पर्रिकर ने कहा कि अगर कोई यह सोचता है कि कर्नाटक द्वारा पानी नहीं लिया जा सकता है तो हकीकत से खुद को दूर रख रहा है। ऐसे सोचने वाले लोगों को कानून के बारे में मालूम नहीं है। अगर कोई नदी से कर्नाटक में बहती है तो आप उन्हें पानी लेने से कैसे रोक सकते हैं। लेकिन इस पानी को वह नदी क्षेत्र से कहीं अन्ययंत्र नहीं ले जा सकते हैं। उस क्षेत्र में उस पानी का उपयोग वे पेयजल या दूसरे कार्यों के लिए कर सकते हैं।
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