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शिशु ऑडियो परीक्षण केंद्र सेवा शुरू

locationबैंगलोरPublished: Mar 24, 2019 11:39:22 pm

शहर के जिला अस्पताल में स्थित नवजात शिशु देखभाल अनुभाग इकाई में नवजात शिशु ऑडियो परीक्षण केंद्र की सेवा शुरू की गई है।

शिशु ऑडियो परीक्षण केंद्र सेवा शुरू

शिशु ऑडियो परीक्षण केंद्र सेवा शुरू

बल्लारी. शहर के जिला अस्पताल में स्थित नवजात शिशु देखभाल अनुभाग इकाई में नवजात शिशु ऑडियो परीक्षण केंद्र की सेवा शुरू की गई है। तीन माह तक के शिशुओं को मूक-बधिर होने से बचाने के लिए इस नवजात शिशु श्रवण सेवा केंद्र की शुरुआत की गई है। ये सेवा-बसम्मा हियरिंग फाउंडेशन बल्लारी तथा लायन्स क्लब की ओर से शुरू की गई है।


सेवा केंद्र की इकाई का उद्घाटन बसम्मा हियरिंग फाउंडेशन के अध्यक्ष बसवराज बी. तथा लायन्स क्लब के अरविंद पाटील ने की। बसम्मा हियरिंग फाउंडेशन की स्थापना इंग्लैंड में रह रहे नाक, कान, गला चिकित्सा विशेषज्ञ बल्लारी के डॉ. श्रीशैल. बी. ने अपनी माता की याद में की है।

इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. शिवराज हेडे ने कहा कि तीन महीने के बच्चे का यदि समय रहते इलाज करवाया जाए तो उसे मूक बधिर होने से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में नवजात शिशु श्रवण केंद्र की सेवा का लाभ अधिक से अधिक लोगों को उठाना चाहिए। जिला शल्य चिकित्सक डॉ. एन. बसरेड्डी ने कहा कि एक हजार बच्चों में ५ से ६ बच्चे ऐसे होते हैं जो ठीक तरह से सुन नहीं पाते।

केरल से लगे जिले हाई अलर्ट पर
बेंगलूरु. वेस्ट नील वायरस से केरल में एक सात साल के बच्चे की मौत के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने विशेष कर केरल से सटे जिलों सहित प्रदेश भर में अलर्ट जारी किया है। विभाग इस पर नजर बनाए हुए है।


चूंकि यह वायरस मच्छरों के काटने से फैलता है। इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है। यह वायरस पक्षी से लेकर इंसान तक को चपेट में लेने की क्षमता रखता है। वायरस क्यूलेक्स नाम के मच्छर के काटने से फैलता है। हालांकि वायरस का शुरुआती सोर्स वेस्ट नील पक्षी है। पक्षी से मच्छर और मच्छर से इंसान तक यह वायरस पहुंचता है। इंसानों को इससे बचाने के लिए कोई टीका नहीं है। 

राष्ट्रीय मच्छर जनित बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम के संयुक्त निदेशक डॉ. एस. सज्जन शेट्टी ने बताया कि मैसूरु, चामराजनगर, कोड़ुगू और दक्षिण जिले को एहतियातन हाई अलर्ट पर रखा गया है। लेकिन चिंता वाली बात नहीं है, क्योंकि इस वायरस से गंभीर परिस्थितियां पैदा होने की संभावना बेहद कम है।


गत वर्ष जनवरी में दक्षिण कन्नड़ जिले में वेस्ट नील वायरस के एक संदिग्ध मरीज की पुष्टि हुई थी। उचित उपचार के बाद मरीज ठीक हो गया था। चिकित्सकों का कहना है कि इस वायरस को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखते हैं।

सिर दर्द, बुखार, थकान, शरीर में दर्द, उल्टी, त्वचा पर लाल चकते और मांसपेशियों में कमजोरी इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। गंभीर मामलों में गर्दन में अकडऩ, तेज बुखार, मानसिक असंतुलन और कोमा में जाने जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। लेकिन १५० में से एक मरीज में ही इसकर संभावना होता है।

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