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शहर में ढांचागत विकास हो प्राथमिकता : पूर्व मुख्यमंत्री

locationबैंगलोरPublished: Dec 11, 2018 09:12:14 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

अगर बेंगलूरु में ढांचागत विकास कार्य आशानुरुप नहीं होता है तो शहर की सूरत बिगड़ जाएगी।

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शहर में ढांचागत विकास हो प्राथमिकता : पूर्व मुख्यमंत्री

बेंगलूरु. आइटी सिटी बेंगलूरु में ढांचागत विकास के सुदृढ नहीं होने पर चिंता जताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एसएस कृष्णा ने कहा कि बेंगलूरु को रहने योग्य बनाए रखने के लिए शहर में आधारभूति ढांचागत विकास करना अनिवार्य है।
एक प्रदर्शनी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, अगर बेंगलूरु में ढांचागत विकास कार्य आशानुरुप नहीं होता है तो शहर की सूरत बिगड़ जाएगी।

सरकार और सभी हितधारकों को चाहिए कि वह शहर के तेजी से बढते दायरे को ध्यान में रखकर ढांचागत विकास की परियोजनाओं को तेजी से पूरा करे।
पिछले दो दशकों में शहर के अनियंत्रित विकास पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण बढा है।

ऐसे में शहर को रहने योग्य बनाए रखने के लिए विशेषज्ञों को बुनियादी ढांचे के विकास की योजनाएं बनाने के साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए परियोजनाओं को तय समय के भीतर निष्पादित किया जाए।
कृष्णा ने कहा कि आइटी और बीटी उद्योगों के कारण बेंगलूरु दुनिया के मानचित्र पर आ चुका है और बड़े स्तर पर वैश्विक निवेश को आकर्षित करने में सफल रहा लेकिन विभिन्न कारणों से शहर के विकास के अनुरूप ढांचागत परियोजनाएं क्रियान्वित नहीं हुईं।
गौरतलब है कि अक्टूबर-1999 से मई-2004 के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे कृष्णा की पहचान बेंगलूरु को आइटी सिटी के रूप में स्थापित करने वाले सीएम की रही।

उनके कार्यकाल के दौरान पहली बार बड़े स्तर पर आइटी-बीटी उद्योगों ने बेंगलूरु में निवेश किया था।

आइटी-बीटी कंपनियां करे सहयोग
उन्होंने कहा कि शहर का ढांचागत विकास सिर्फ राज्य सरकार के सीमित संसाधनों के बलबूते पूरा नहीं हो सकता बल्कि इसमें कॉरपोरेट, गैर सरकारी संगठनों, विशेषज्ञों आदि को भी अपना योगदान देना चाहिए और बेंलगूरु के जीवनस्तर को उन्नत करने का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास कई अन्य प्राथमिकताएं हैं जहां उसे अपना सीमित संसाधन खर्च करना है, ऐसे में आइटी-बीटी सेक्टर को चाहिए वह शहर के विकास में अपना सहयोग सुनिश्चित करे।

परिकल्पना के बाहर हुआ विकास
पुराने दिनों को याद करते हुए जब बागों का शहर बेंगलूरु पेंशनभोगी लोगों का पंसदीदा शहर था और पूरे वर्ष एक सा मौसम रहता था, कृष्णा ने कहा कि अब बेंगलूरु बदल गया है और इसका इतना अधिक विस्तार हो चुका है जिसकी परिकल्पना भी नहीं की गई।
85 वर्षीय कृष्णा ने कहा कि मेरा पैतृक स्थल मंड्या जिले में मद्दुर है जो बेंगलूरु से 100 किलोमीटर दूर है लेकिन 1950 के दशक से ही मेरा ठिकाना बेंगलूरु बना गया जब मैं कानून की पढाई कर रहा था।
तब से अब तक बेंगलूरु में कई प्रकार के बदलाव आए लेकिन हाल के वर्षों में जो बदलाव हुआ उस अनुरूप ढांचागत विकास नहीं हो पाया।

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