scriptबन्नेरघट्टा नेशनल पार्क में खनन कंपनियों को काम बंद करने के निर्देश | Instructions to stop mining companies in Banerghatta National Park | Patrika News

बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क में खनन कंपनियों को काम बंद करने के निर्देश

locationबैंगलोरPublished: Jun 13, 2018 07:19:02 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

हाथी गलियारे में अवैध खनन करने पर 80 करोड़ रुपए जुर्मानाएक लाख टन पत्थर खनन करना था लेकिन 20 लाख टन ही हुआ

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बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क में खनन कंपनियों को काम बंद करने के निर्देश

बेंगलूरु. बन्नेरघट्टा पार्क के हाथी गलियारा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की शिकायत मिलने के बाद राज्य सरकार ने अंतत: 10 खनन कंपनियों को संबंधित में खनन गतिविधियां बंद करने का नोटिस जारी किया है।
खान एवं भूविज्ञान विभाग ने संबंधित क्षेत्र में अनियमितताओं की जांच शुरू की थी और सोमवार को विभाग द्वारा जारी निर्देश में 10 खनन कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इस क्षेत्र में मंगलवार शाम तक अपनी सभी प्रकार की गतिविधियां बंद कर दें। इसके अतिरिक्त इन कंपनियों के खिलाफ 80 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
दरअसल केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अनुसार देश के राष्ट्रीय उद्यानों, बाघ रिजर्व या वन्यजीव अभयारण्यों के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियों की अनुमति नहीं है। हालांकि ये कंपनियां नियमों के विपरीत जाकर बन्नेरघट्टा पार्क के पारिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्र (इएसजेड) के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियां कर रहे थे।
खान और भूविज्ञान विभाग के निदेशक प्रसन्न कुमार ने कहा कि इससे पहले अप्रेल में खान और भूविज्ञान विभाग ने शिवनहल्ली स्थित पांच अन्य कंपनियों को बंद करने का नोटिस जारी किया था, हालांकि विभाग ने अभी तक कंपनियों पर लगाए जाने वाले दंड का निर्धारण नहीं किया है।
इस बीच मई महीने में जब पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने तम्मनिकलहल्ली में अवैध खनन होने के खिलाफ प्रदर्शन किया तब विभाग ने शिवनहल्ली और तम्मनिकलहल्ली दोनों क्षेत्रों के लिए एक संयुक्त सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की। संयुक्त सर्वेक्षण रिपोर्ट में खान एवं भूविज्ञान विभाग, सर्वेक्षण विभाग और वन विभाग को शामिल किया गया।

अवैध खनन से बढ़ा वायु और जल प्रदूषण
रिपोर्ट में कहा गया कि 10 कंपनियां इएसजेड क्षेत्र के भीतरी हिस्सों में खनन कर रही हैं, जो खनन नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा, कंपनियों ने पत्थरों की सीमा के मानदंडों का पालन नहीं किया था जिन्हें खनन किया जा सकता था। मानदंडों के अुनसार कंपनियों को सिर्फ 1 लाख टन पत्थर उत्खनन करना था, लेकिन कंपनियों ने 20 लाख टन उत्खनन किया। इस प्रकार उन्होंने निर्धारित मात्रा दर का भी उल्लंघन किया। इससे इस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचने की संभावना है और बड़े स्तर पर वायु प्रदूषण हुआ है। कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खनन के लिए कुछ मानदंड निर्धारित किए हैं जिनका खनन गतिविधियों में शामिल कंपनियों द्वारा उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, इन कंपनियों ने खनन के दौरान उत्पन्न धूल की मात्रा पर ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने आसपास के जल निकायों को प्रदूषित करने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए भी कोई सुरक्षा उपाय नहीं अपनाया।
हाथी गलियारे में बना दी सड़क
वन विभाग के अनुसार संयुक्त सर्वेक्षण से पता चला कि हाथी गलियारे में सड़कों का निर्माण किया गया था और इएसजेड के भीतर कचरा डाला जा रहा था। कंपनियों ने इएसजेड क्षेत्र को बुरी तरह से अपशिष्ट से भर दिया। पर्यावरणविदों के अनुसार खनन कपंनियों न केवल हाथी गलियारे को नष्ट कर दिया है बल्कि 47 गांवों में लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ा है।

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