इस बीच मई महीने में जब पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने तम्मनिकलहल्ली में अवैध खनन होने के खिलाफ प्रदर्शन किया तब विभाग ने शिवनहल्ली और तम्मनिकलहल्ली दोनों क्षेत्रों के लिए एक संयुक्त सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की। संयुक्त सर्वेक्षण रिपोर्ट में खान एवं भूविज्ञान विभाग, सर्वेक्षण विभाग और वन विभाग को शामिल किया गया।
अवैध खनन से बढ़ा वायु और जल प्रदूषण
रिपोर्ट में कहा गया कि 10 कंपनियां इएसजेड क्षेत्र के भीतरी हिस्सों में खनन कर रही हैं, जो खनन नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा, कंपनियों ने पत्थरों की सीमा के मानदंडों का पालन नहीं किया था जिन्हें खनन किया जा सकता था। मानदंडों के अुनसार कंपनियों को सिर्फ 1 लाख टन पत्थर उत्खनन करना था, लेकिन कंपनियों ने 20 लाख टन उत्खनन किया। इस प्रकार उन्होंने निर्धारित मात्रा दर का भी उल्लंघन किया। इससे इस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचने की संभावना है और बड़े स्तर पर वायु प्रदूषण हुआ है। कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खनन के लिए कुछ मानदंड निर्धारित किए हैं जिनका खनन गतिविधियों में शामिल कंपनियों द्वारा उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, इन कंपनियों ने खनन के दौरान उत्पन्न धूल की मात्रा पर ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने आसपास के जल निकायों को प्रदूषित करने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए भी कोई सुरक्षा उपाय नहीं अपनाया।
वन विभाग के अनुसार संयुक्त सर्वेक्षण से पता चला कि हाथी गलियारे में सड़कों का निर्माण किया गया था और इएसजेड के भीतर कचरा डाला जा रहा था। कंपनियों ने इएसजेड क्षेत्र को बुरी तरह से अपशिष्ट से भर दिया। पर्यावरणविदों के अनुसार खनन कपंनियों न केवल हाथी गलियारे को नष्ट कर दिया है बल्कि 47 गांवों में लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ा है।