कहीं नहीं मिल रहे वर तो कहीं वधुओं की तलाश कर रहे अभिभावक
विधान परिषद में सप्तपदी पर चर्चा के दौरान सदस्यों ने बताई रोचक समस्याएं, केवल संपन्न मंदिरों तक सीमित होगा सप्तपदी कार्यक्रम

बेंगलूरु. सरकार की सामूहिक विवाह योजना सप्तपदी पर विधान परिषद में चर्चा के दौरान मंत्रियों और सदस्यों के बीच काफी रोचक वार्तालाप हुआ। कुछ सदस्यों ने सदन का ध्यान इस बात की ओर खींचा कि कई क्षेत्रों में लड़कों को वधुएं नहीं मिल रहीं तो कहीं लड़कियों को वर नहीं मिल रहे हैं।
संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा कि तुमकूरु जिले में लड़कों की शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही है। इस बात का समर्थन करते हुए कन्नड़ संस्कृति मंत्री सीटी रवि ने कहा कि चिकमगलरु तथा मलनाडू क्षेत्रों में भी यही हालात हैं।
जनता दल के श्रीकंठे गौडा ने कहा कि मैसूरु तथा मंड्या समेत कई जिलों में स्थिति एकदम उलटी है और वहां लड़के नहीं मिल रहे हैं। इसके बाद कई सदस्यों ने इस मामले पर उनके जिलों के हालात बताए। सदन में काफी देर तक चली इस बातचीत के दौरान कई बार ठहाके लगे।
इससे पहले सदन में देवस्थानम विभाग के मंत्री कोटा श्रीनिवास पूजारी ने बताया कि सप्तपदी योजना का क्रियान्वयन देवस्थान विभाग के 34 हजार मंदिर में से केवल चयनित 25 मंदिरों के जरिये होगा। ऐसे मंदिर जिनकी वार्षिक आय 20 करोड़ रुपए से अधिक है, केवल वही सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन करेंगे।
जनता दल के सदस्य टीए शरवण ने सामूहिक विवाह के लिए मंदिरों के दानपात्रों की राशि का उपयोग करने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि दान की राशि का उपयोग कर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। जबकि इस कार्यक्रम में उसका कोई योगदान नहीं है।
मंत्री ने कहा कि इस योजना के लिए किसी भी मंदिर पर दबाव नहीं डाला जा रहा और दान की राशि का उपयोग भी नहीं किया जा रहा है। यह योजना काफी लोकप्रिय हो रही है। नि:शुल्क सामूहिक विवाह के लिए अभी तक 2 हजार से अधिक आवेदन मिले है।
इस योजना में वार्षिक 100 करोड़ रुपए आय वाला कुक्के सुब्रमण्या मंदिर, 80 करोड़ आय वाला कोल्लूर मुकांबिका मंदिर, 60 करोड़ की आय वाला कटेल दुर्गा परमेश्वरी देवी मंदिर, 50 करोड़ आय वाला मैसूरु का चामुंडेश्वरी मंदिर ऐसे संपन्न ए श्रेणी के माने जिनकी वार्षिक आय 20 करोड़ से अधिक है ऐसे 25 मंदिरों में ही यह कार्यक्रम होने हैं। ऐसे में दान राशि का उपयोग संबंधी आरोप बेबुनियाद है। योजना के लिए धन की कोई कमी नहीं है। देवस्थानम विभाग के मंदिरों की दान राशि का उपयोग केवल मंदिर के विकास तथा कर्मचारियों के वेतन तक ही सीमित है।
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