मुनि ने कहा कि सत्य अनंत है। उसके विविध पक्षों को सही सही परिपेक्ष्य में उद्घाटित करने के उद्देश्य से भगवान महावीर ने अनेकांत दर्शन का प्रतिपादन किया। सत्य के साक्षात्कार के लिए उनके अनेकांत दर्शन का अनुसरण अत्यंत आवश्यक है।
इस अनेकांत दृष्टि के विकास से ही सत्य का साक्षात्कार संभव है। वस्तुत होता है यह है कि पूर्वाग्रहों के प्रभाव से प्राय मनुष्य एकांतवादी और आग्रहवादी हो जाता है। वह सोचता है जो मेरा है वही सत्य है उसकी यह सोच ठीक नहीं है इस आगरा में सत्य छूट जाता है। उसे इस विचार का अनुसरण करना चाहिए कि जो सत्य है वही मेरा है। अनेकांत दर्शन को अपनाने से मनुष्य की सारी पारिवारिक व सामाजिक समस्याओं का समाधान सहजता से हो जाता है।
मुनि नरेश कुमार ने कहा कि आध्यात्मिक जीवन के लिए धर्म के उपदेश के नहीं आचरण की अपेक्षा है। सौ उपदेशों से एक आचरण का प्रभाव अधिक होता है। धर्म को जीवन की प्रयोगशाला बनाना चाहिए। मुनि बुधवार को तमिलनाडु में प्रवेश करेंगे तथा मुनि का 15 और 16 मार्च को ऊटी में प्रवास रहेगा। इस अवसर पर मैसूरु से मदनलाल मारू, रमेश नौलखा, अमरचंद दक, कोयंबत्तूर युवक परिषद के अध्यक्ष विनोद लूनिया, अजय संचेती उपस्थित थे।