इसके साथ दर में कमी हुई है। गए पांच माह में मांग नहीं होने से सिर्फ दो लाख दस हजार क्विंटल हल्दी की बिक्री ही हो पाई है। इससे किसान और व्यापारी परेशान हैं।
देशमें हर साल लगभग एक करोड क्विंटल का हल्दी का उत्पादन होता है। इस हल्दी की खरीद-बिक्री का सबसे बडा मार्केट सांगली में है। स्वातंत्र्यपूर्व के समय से सांगली के कृषि उपज बाजार समिति में हल्दी के सौदे निकालते है।
अच्छे दर की परंपरा होने से महाराष्ट्र के साथ कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु व तेलंगाना के किसान हल्दी की बिक्री के लिए सांगली में आते है। लिलाव (टेंडर) तरीके से बिक्री किए जाने के बाद हल्दी के (हलकुंड) गुणवत्ता के अनुसार प्रतिक्विंटल तीन से नौ हजार रुपए दर मिलता है। जबकि इस साल कोरोना से हल्दी किसान और व्यापारियों को नियोजन फंसा।
जबकि गये छह माह से दुनियाभर में कोरोना का संसर्ग होने से हल्दी बाजार पर भी उसका असर हुआ। लॉकडाउन में हल्दी के सौदे बंद हुए। प्रत्यक्ष लिलाव तरीके से होनेवाले सौदों के लिए भीड होने से सांगली के जिलाधिकारी डॉ. अभिजित चौधरी ने ऑनलाईन लिलाव शुरू किए लेकिन यातायात की समस्या होने से बाहर के किसान नहीं आ सके।
होटल और उद्योग बंद रहने से मांग में भी कमी हुई। जिससे व्यापारी हल्दी की खरीदारी के लिए आगे नहीं आए। गए साल अप्रैल से जुलाई इन चार माह में लगभग छह लाख क्विंटल हल्दी की बिक्री हुई थी।
इस साल चार माह में सिर्फ दो लाख 10 हजार क्विंटल की बिक्री हुई। इसकी विशेषता यह है की इसमें से दो लाख दो हजार क्विंटल हल्दी की बिक्री मई में हुई थी। बाकी तीन माह में सिर्फ आठ हजार क्विंटल की बिक्री हुई।
बाजार पूरी तरह शांत होने से किसान और व्यापारियों का आर्थिक नियोजन बिगड़ गया। दिसंबर-जनवरी में नए हंगाम की शुरुआत होगी। नई हल्दी बाजार में आते ही दर कम होने की संभावना है। जिससे गए हंगाम के साथ आने वालला हंगाम भी किसानों के लिए कठीन हो सकता है।