सहकारिता विभाग से खत्म होंगे अप्रासंगिक कानून
सहकारी बैंक भी शुरू करेंगे ऑनलाइन सेवाएं-बजट सत्र में विधेयक

बेंगलूरु. सहकारिता विभाग में पुराने और अप्रासंगिक हो चुके जटिल कानून खत्म करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। बजट सत्र में इसके लिए एक विधेयक भी पेश किया जाएगा। यह जानकारी सहकारिता मंत्री एसटी सोमशेखर ने यहां शुक्रवार को बेंगलूरु जिला सहकारी बैंक (बीडीसीसी) की ओर से आयोजित ऋण वितरण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए दी।
उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों में भी समय के हिसाब से बदलाव लाना होगा और निजी बैंकों की तरह सेवाएं देनी होंगी। इसके लिए व्यापक बदलाव की जरूरत है और सकारात्मक सोच के साथ अधिकारी इन बदलावों के लिए तैयार रहें। नए प्रयोगों के लिए राज्य के जिला सहकारी बैंकों का चयन किया गया है। अब ये बैंक उपभोक्ताओं को अनेक सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराएंगे। इसकी योजना तैयार हो चुकी है और जल्द ही अमल में लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसे कानूनों की पहचान करने के लिए कहा गया है जो अब अप्रासंगिक हो चुके हैं। विभाग अब आधुनिक तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करेगा। सभी सहकारिता संघों के लिए एक ही सॉफ्टवेयर विकसित करने की योजना है। सहकारिता क्षेत्र के बैंकों पर लोगों का भरोसा कायम है। लाखों उपभोक्ताओं ने करोड़ों रुपए सावधि जमा के तौर पर इन बैकों में रखे हैं। उनके भरोसे को कायम रखना होगा और इसके लिए पारदर्शिता जरूरी है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान सहकारिता संघों की अनुषंगी संस्थाओं को अस्थायी रुप से कर्मचारियों की नियुक्त के निर्देश दिए गए थे। इससे कई युवाओं को रोजगार मिला। मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा ने इन बैंकों के जरिए वर्ष 2021-22 में 25 लाख लघु तथा सीमांत किसानों को 30 हजार करोड़ रुपए ऋण वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इस योजना की विस्तृत रूपरेखा तैयार की जा रही है। इसे अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए नाबार्ड बैंक की सहायता भी ली जाएगी। चार राजस्व संभागों बेंगलूरु, मैसूरु, मेंगलूरु और कलबुर्गी में 26 हजार 300 करोड़ रुपए ऋण वितरण किया जाएगा।
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