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कर्नाटक में पक रही है नई राजनीतिक खिचड़ी!

locationबैंगलोरPublished: Oct 30, 2019 12:15:52 am

Submitted by:

Jeevendra Jha

विधानसभा उपचुनावों से पहले भाजपा की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाते दिख रहे हैं जद-एस नेता एच डी कुमारस्वामी

कर्नाटक में पक रही है नई राजनीतिक खिचड़ी!

कर्नाटक में पक रही है नई राजनीतिक खिचड़ी!

बेंगलूरु. क्या कर्नाटक में तीन महीने बाद फिर से नई सियासी खिचड़ी पक रही है? कम से कम पूर्व मुख्यमंत्री और जद-एस नेता एच डी कुमारस्वामी के बयान से राजनीतिक हलकों में ऐसी चर्चाएं हो रही हैं। कुमारस्वामी पिछले एक सप्ताह में कई बार उसी भाजपा की सरकार का समर्थन कर चुके हैं जिसके कथित ऑपरेशन कमल के कारण 17 विधायकों के इस्तीफा देने से कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस और जद-एस गठबंधन सरकार का पतन जुलाई में महीने में हुआ था। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि 100 दिन से भी कम में ऐसा क्या हुआ कि कुमारस्वामी अब भाजपा के करीब जाते दिख रहे हैं? क्या यह राज्य में बदलते राजनीतिक समीकरण के कारण जानबूझ कर खेला गया दांव है या कोई और कारण है? इसे लेकर कयासों का दौर जारी है।
दरअसल, रविवार को कुमारस्वामी ने दो टूक कहा कि वे भाजपा सरकार को गिरने नहीं देंगे। भाजपा सरकार को बचाने की कुंजी उनके पास है और वे विपक्ष (कांग्रेस) के मध्यावधि चुनाव कराने की मंशा को पूरी नहीं होने देंगे। कुमारस्वामी ने कहा कि मुख्यमंत्री बी एस येडियूरप्पा को काम करने का मौका दिया जाना चाहिए। कुमारस्वामी ने एकदम आगे बढ़ते हुए कहा कि अगर जररुत पड़ी तो उनकी पार्टी भाजपा का समर्थन करने पर विचार करेगी।
राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि गठबंधन सरकार के दौरान हुए फोन टैपिंग और आईएमए पोंजी स्कीम घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है। अगर इन मामलों की जांच का दायरा बढ़ता है तो आंच जद-एस नेताओं तक आ सकती है। शायद ऐसी स्थिति से बचने के लिए कुमारस्वामी भाजपा की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक विरोधियों के ऐसे आरोपों को खारिज करते हुए कुमारस्वामी कह चुके हैं कि उन्हें जांच एजेंसियों का कोई भय नहीं है। कुमारस्वामी ने कहा आईएमए घोटाले अथवा फोन टैपिंग मामले की जांच में केंद्रीय जांच एजेंसियों को लेकर कोई भय नहीं है। केंद्रीय एजेंसियों के भय के कारण भाजपा के समर्थन का बयान देने के आरोपों को खारिज करते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि उनके लिए सत्ता से ज्यादा जनता का हित महत्वपूर्ण है। कुमारस्वामी ने कहा कि उन्होंने ही आईएमए घोटाले की जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा कि बाढ़ राहत एक चुनौतीपूर्ण है कार्य और पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते वे इसे अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने क्यों कहा, नहीं गिरने दूंगा भाजपा की सरकार?

उपचुनावों के बाद बाहर से समर्थन पर निर्णय
कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा उपचुनावों के बाद भाजपा को बाहर से समर्थन देने के बारे में निर्णय लेगी। कांग्रेस व जद-एस के 17 विधायकों को अयोग्य ठहराने के कारण रिक्त हुई विधानसभा की 15 सीटों पर 5 दिसम्बर को चुनाव होना है। भाजपा को सरकार बचाने के लिए इसमें से कम से कम सात सीटें जीतनी होगी। ऐसा नहीं होने पर सरकार अल्पमत में आ सकती है और ऐसी स्थिति में जद-एस भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकता है।
सिद्धरामय्या ने ऐसा क्या कह दिया कि कर्नाटक की राजनीति में आया उबाल
जद-एस के भाजपा की ओर बढ़ते झुकाव के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धरामय्या ने कहा कि जद-एस अब कांग्रेस का सहयोगी नहीं है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि जद-एस और भाजपा के बीच नजदीकियां अचानक नहीं बढ़ी हैं। गठबंधन सरकार के पतन के बाद से ही कांग्रेस और जद-एस के बीच दूरियां बढ़ गई थी। जद-एस सरकार के पतन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार मानता है। सत्ता खोने के बाद जद-एस के विधायकों में भी असंतोष बढ़ा है। राजनीतिक मोर्चे पर बढ़ती मुश्किलों के बीच ही पर्दे के पीछे भाजपा और जद-एस में राजनीतिक नजदीकियां बढऩे लगी। जद-एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा हाल ही में गुजरात के दौरे पर गए थे तब वे सरदार पटेल की प्रतिमा भी देखने गए थे। देवेगौड़ा ने इसका फोटो भी ट्वीट किया था, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जवाब दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकोंं का कहना है कि जद-एस एक बार फिर अगर भाजपा के साथ जाता है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जद-एस और भाजपा में पहले भी गठबंधन रह चुका है और कुमारस्वामी उसमें मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
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