कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने क्यों कहा, नहीं गिरने दूंगा भाजपा की सरकार? उपचुनावों के बाद बाहर से समर्थन पर निर्णय
कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा उपचुनावों के बाद भाजपा को बाहर से समर्थन देने के बारे में निर्णय लेगी। कांग्रेस व जद-एस के 17 विधायकों को अयोग्य ठहराने के कारण रिक्त हुई विधानसभा की 15 सीटों पर 5 दिसम्बर को चुनाव होना है। भाजपा को सरकार बचाने के लिए इसमें से कम से कम सात सीटें जीतनी होगी। ऐसा नहीं होने पर सरकार अल्पमत में आ सकती है और ऐसी स्थिति में जद-एस भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकता है।
सिद्धरामय्या ने ऐसा क्या कह दिया कि कर्नाटक की राजनीति में आया उबाल
कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा उपचुनावों के बाद भाजपा को बाहर से समर्थन देने के बारे में निर्णय लेगी। कांग्रेस व जद-एस के 17 विधायकों को अयोग्य ठहराने के कारण रिक्त हुई विधानसभा की 15 सीटों पर 5 दिसम्बर को चुनाव होना है। भाजपा को सरकार बचाने के लिए इसमें से कम से कम सात सीटें जीतनी होगी। ऐसा नहीं होने पर सरकार अल्पमत में आ सकती है और ऐसी स्थिति में जद-एस भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकता है।
सिद्धरामय्या ने ऐसा क्या कह दिया कि कर्नाटक की राजनीति में आया उबाल
जद-एस के भाजपा की ओर बढ़ते झुकाव के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धरामय्या ने कहा कि जद-एस अब कांग्रेस का सहयोगी नहीं है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि जद-एस और भाजपा के बीच नजदीकियां अचानक नहीं बढ़ी हैं। गठबंधन सरकार के पतन के बाद से ही कांग्रेस और जद-एस के बीच दूरियां बढ़ गई थी। जद-एस सरकार के पतन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार मानता है। सत्ता खोने के बाद जद-एस के विधायकों में भी असंतोष बढ़ा है। राजनीतिक मोर्चे पर बढ़ती मुश्किलों के बीच ही पर्दे के पीछे भाजपा और जद-एस में राजनीतिक नजदीकियां बढऩे लगी। जद-एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा हाल ही में गुजरात के दौरे पर गए थे तब वे सरदार पटेल की प्रतिमा भी देखने गए थे। देवेगौड़ा ने इसका फोटो भी ट्वीट किया था, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जवाब दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकोंं का कहना है कि जद-एस एक बार फिर अगर भाजपा के साथ जाता है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जद-एस और भाजपा में पहले भी गठबंधन रह चुका है और कुमारस्वामी उसमें मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
राजनीतिक विश्लेषकोंं का कहना है कि जद-एस एक बार फिर अगर भाजपा के साथ जाता है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जद-एस और भाजपा में पहले भी गठबंधन रह चुका है और कुमारस्वामी उसमें मुख्यमंत्री रह चुके हैं।