अधिकांश राशि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के मद में, मानव रहित गगनयान, चंद्रयान-3 और आदित्य सहित 25 से अधिक मिशन लांच करने की तैयारी में इसरो
बेंगलूरु.
गगनयान, चंद्रयान-3 और आदित्य मिशन के साथ 25 से ज्यादा मिशन लांच करने की योजना पर चल रहे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) के वर्ष 2020-21 के बजट में 340 करोड़ रुपए का मामूली इजाफा हुआ है। यह गत वित्तीय वर्ष की तुलना में लगभग 8 फीसदी अधिक है।
इसरो कार्यक्रमों का दायरा बढऩे और अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने जैसी योजनाओं के बावजूद अंतरिक्ष बजट व्यय में भारत अब भी अमरीकी और चीनी अंतरिक्ष एजेसियों की तुलना में काफी पीछे है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020-21 के बजट में अंतरिक्ष विभाग को कुल 13 हजार 479.47 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।गत वर्ष 2019-20 में यह राशि 13 हजार 139.26 करोड़ रुपए थी। बजट में यह बढ़ोतरी चंद्रयान-3, मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान, लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के विकास और तमिलनाडु में नए स्पेस पोर्ट निर्माण को ध्यान में रखकर की गई है।
बजट की अधिकांश राशि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के मद में दी गई है जो कि 9 हजार 761.50 करोड़ रुपए है। इसके अलावा अंतरिक्ष अनुप्रयोगों (एप्लीकेशंस) के लिए 1 हजार 810 करोड़, अंतरिक्ष विज्ञान के लिए 265 करोड़ तथा इनसैट उपग्रह प्रणाली के लिए 750 करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं। वर्ष 2019-20 में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी 8,991.31 करोड़ रुपए, अंतरिक्ष एप्लीकेशंस 1,862 करोड़ रुपए, अंतरिक्ष विज्ञान 281.88 करोड़ रुपए और इनसेट उपग्रह प्रणाली के लिए 1,008.56 करोड़ रुपए रखा गया था। इससे पहले के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो अंतरिक्ष विभाग के बजट आवंटन को वर्ष 2018-19 में 11 हजार 200 करोड़ रुपए से बढ़कर 2019-20 में 12 हजार 473 करोड़ रुपए किया गया था। हालांकि, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के मद में करीब 1400 करोड़ रुपए की बढोतरी की गई थी। वित्त वर्ष 2018-19 में इस मद में 6992 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।
इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि इसरो के कार्यक्रमों को देखते हुए उसे काफी कम बजट में काम करना होगा। अंतरिक्ष मानव मिशन को ही अकेले 10 हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता है। हालांकि, यह मिशन वर्ष 2022 में लांच होना है लेकिन उससे जुड़ी तकनीकों का विकास इसी वर्ष किया जाना है। इसके अलावा चंद्रयान-3 को भी मंजूरी दी जा चुकी है जो कि एक खर्चीली परियोजना है। इसरो के पास कई परियोजनाएं हैं जिसके लिए बड़े पैमाने पर फंड की आवश्यकता होगी।
युविका 2020 का पंजीकरण कल से
इस बीच इसरो ने कहा है कि स्कूली बच्चों के लिए युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम-2020 (युविका-2020) का ऑनलाइन पंजीकरण 3 फरवरी से शुरू होगा। इस कार्यक्रम में देश भर के स्कूली बच्चों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष से संबंधित अन्य विषयों के बारे में बताया जाता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अंतरिक्ष गतिविधियों के उभरते क्षेत्र में युवाओं में रुचि पैदा करना है। इसरो ने कहा है कि यह आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दो सप्ताह से अधिक अवधि का होगा। छुट्टियों के दौरान प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश से तीन स्कूली छात्रों के चुने जाने का प्रस्ताव है। इस कार्यक्रम में सीबीएसई और आईसीएसई पाठ्यक्रम को शामिल किया जाएगा। जो छात्र आठवीं की परीक्षा पास कर चुके हैं और नौवीं कक्षा में पढ़ रहे हैं वे इस कार्यक्रम में भाग लेने के योग्य हैं।
के.शिवन को डॉ की मानद उपाधि देगा वीटीयू
विश्वेश्वरैया तकनीकी विश्वविद्यालय (वीटीयू) इसरो अध्यक्ष के.शिवन को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ के.शिद्दप्पा ने शनिवार को बताया कि 8 फरवरी को 19 वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान इसरो अध्यक्ष को इस उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के चेयरमैन केके अग्रवाल दीक्षांत भाषण देंगे। उप मुख्यमंत्री सीएन अश्वथनारायण इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। इस दौरान 58 हजार 827 अंडर ग्रेजुएट, 7522 पोस्ट गे्रजुएट, 42 रिसर्च स्कॉलर्स को उपाधि प्रदान की जाएगी।
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