कुल 1323 किलो उपग्रह ले जाएगा पीएसएलवी
पीएसएलवी सी-40 के साथ भेजे जाने वाले 31 उपग्रहों में से 3 लघु और 25 नैनो उपग्रह (वजन कुल 613 किलोग्राम) छह देशों कनाडा, फीनलैंड, फ्रांस, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ब्रिटेन और अमरीका के हैं। मुख्य पे-लोड कार्टोसैट-2 है जिसका वजन 710 किलोग्राम है जबकि सभी उपग्रहों का कुल वजन 1323 किलोग्राम है। इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लांच पैड से 12 जनवरी को सुबह 9.28 बजे छोड़ा जाएगा।
चंद्रयान-2 का इंटीग्रेशन, परीक्षण अंतिम दौर में
इसरो के आगामी मिशनों के बारे में अन्नादुरै ने बताया कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण इसी साल की पहली तिमाही में करने की योजना है। इस मिशन के साथ आर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे जाएंगे। उपग्रह का इंटीग्रेशन और परीक्षण अंतिम दौर में है।
निजी क्षेत्र इंटीग्रेट करेगा अगला नौवहन उपग्रह
उन्होंने बताया कि इसरो का पिछला मिशन आईआरएनएसएस-1एच पीएसएलवी सी-39 के हीटशील्ड में फंसे रहने के कारण विफल हो गया था। इसरो उपग्रह केंद्र इस नौवहन उपग्रह का रिप्लेसमेंट तैयार कर रहा है जो आईआरएनएसएस-1 आई होगा। यह इसरो का पहला उपग्रह होगा जिसकी एसेंबलिंग, इंटीग्रेशन और परीक्षण पूरी तरह निजी क्षेत्र करेगा। इससे पहले आईआरएनएसएस-1एच के इंटीग्रेशन में भी निजी क्षेत्र की भूमिका रही थी लेकिन आईआरएनएसएस-1 आई पहला ऐसा उपग्रह होगा जिसे पूरी तरह निजी क्षेत्र द्वारा तैयार किया जाएगा।
पीएसएलवी सी-40 के साथ भेजे जाने वाले 31 उपग्रहों में से 3 लघु और 25 नैनो उपग्रह (वजन कुल 613 किलोग्राम) छह देशों कनाडा, फीनलैंड, फ्रांस, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ब्रिटेन और अमरीका के हैं। मुख्य पे-लोड कार्टोसैट-2 है जिसका वजन 710 किलोग्राम है जबकि सभी उपग्रहों का कुल वजन 1323 किलोग्राम है। इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लांच पैड से 12 जनवरी को सुबह 9.28 बजे छोड़ा जाएगा।
चंद्रयान-2 का इंटीग्रेशन, परीक्षण अंतिम दौर में
इसरो के आगामी मिशनों के बारे में अन्नादुरै ने बताया कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण इसी साल की पहली तिमाही में करने की योजना है। इस मिशन के साथ आर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे जाएंगे। उपग्रह का इंटीग्रेशन और परीक्षण अंतिम दौर में है।
निजी क्षेत्र इंटीग्रेट करेगा अगला नौवहन उपग्रह
उन्होंने बताया कि इसरो का पिछला मिशन आईआरएनएसएस-1एच पीएसएलवी सी-39 के हीटशील्ड में फंसे रहने के कारण विफल हो गया था। इसरो उपग्रह केंद्र इस नौवहन उपग्रह का रिप्लेसमेंट तैयार कर रहा है जो आईआरएनएसएस-1 आई होगा। यह इसरो का पहला उपग्रह होगा जिसकी एसेंबलिंग, इंटीग्रेशन और परीक्षण पूरी तरह निजी क्षेत्र करेगा। इससे पहले आईआरएनएसएस-1एच के इंटीग्रेशन में भी निजी क्षेत्र की भूमिका रही थी लेकिन आईआरएनएसएस-1 आई पहला ऐसा उपग्रह होगा जिसे पूरी तरह निजी क्षेत्र द्वारा तैयार किया जाएगा।