इसरो वैज्ञानिकों ने चांद की धरती पर लैंडर (विक्रम) की सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर (प्रज्ञान) की सहज चहलकदमी के लिए कड़ी मेहनत के साथ ही हर तरह की तैयारियां की है। चंद्रयान-2 के पूर्व परियोजना निदेशक एवं इसरो उपग्रह केंद्र के पूर्व निदेशक एम.अन्नादुरै ने बताया कि चांद की धरती पृथ्वी से बिल्कुल अलग है इसलिए लैंडर और रोवर के परीक्षण के लिए कृत्रिम चंद्र सतह बनाने की चुनौती थी। चंद्रमा की सतह क्रेटर, चट्टानों और धूल से ढंकी है और इसकी मिट्टी की बनावट पृथ्वी की तुलना में अलग है। इसलिए लैंडर के लेग की ऐसी मिट्टी पर उतरने और रोवर के चहलकदमी का परीक्षण उड़ान भरने से पहले पूरा किया जाना जरूरी था। इसके लिए पहले अमरीका से मिट्टी मंगाने की योजना बनी थी लेकिन इसरो को कम से कम 6 0 से 70 टन ऐसी मिट्टी की आवश्यकता थी।
लैंडर में पहले चार चक्के थे लेकिन छह चक्के लगाए गए ताकि उसे अधिक स्थिरता मिले। चक्कों के आकार में भी कुछ बदलाव किए गए। इस तरह लैंडर और रोवर का परीक्षण सफल हुआ और अब उम्मीद है कि चांद पर उतरकर ये नया इतिहास रचेंगे।
अगर चंद्रयान-2 के लैंडर चांद पर उतरने में सफल रहा तो ऐसा करने वाला भारत विश्व का सिर्फ चौथा देश होगा। अभी तक केवल रूस, अमरीका और चीन ही ऐसा कर पाए हैं। इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने कहा कि तमाम एहतियात बरते गए हैं। तकनीकी खामी दूर कर ली गई है। वे आश्वस्त करना चाहते हैं कि इस बार वैसी तकनीकी खामी नहीं होगी जैसा 15 जुलाई को हुआ था। अब इसकी कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मिशन पर विश्व भर के वैज्ञानिकों की नजर है। चंद्रयान-2 ने चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया अब चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी धु्रव पर उतरने जा रहा है जिससे कई ऐसी जानकारियां मिलेंगी जो अभी तक नहीं मिल पाई हैं।