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चांद जैसी मिट्टी बनाने में इसरो को महारत, मिला पेटेंट

locationबैंगलोरPublished: May 22, 2020 11:23:13 am

Submitted by:

Rajeev Mishra

एनॉर्थोसाइट चट्टानों से तैयार किया था कृत्रिम चंद्र सतहचंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर का हुआ था परीक्षण

ISRO Releases high resolution images by Chandrayaan 2 orbiter
बेंगलूरु.
अंतरिक्ष कार्यक्रमों में आत्मनिर्भरता हासिल कर चुके भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को चांद जैसी मिट्टी बनाने की तकनीक का पेटेंट मिल गया है। इस पेटेंट के लिए इसरो ने 15 मई 2014 को आवेदन दिया था।
दरअसल, चंद्रयान-2 मिशन के दौरान इसरो ने देश में ही चांद की पथरीली जमीन सदृश कृत्रिम मिट्टी बनाई थी जिसपर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के कई परीक्षण हुए थे। अब इसरो को इस तकनीक के लिए पेटेंट मिल गया है। यह पेटेंट आवेदन दाखिल करने की तिथि से 20 साल तक के लिए मान्य होगा। इस नए आविष्कार के जनक हैं इसरो वैज्ञानिक आइ वेणुगोपाल, एसए कन्नन, शामराओ और वी.चंद्रबाबू। उनके अलावा तलिमनाडु स्थित पेरियार विश्वविद्यालय, सेलम के भू-विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक एस अनबझगन, एस.अरिविजगन, सीआर परमशिवम और एम चिन्नामुत्थु का भी योगदान है।
यूआर राव उपग्रह केंद्र के पूर्व निदेशक एम.अन्नादुरै ने कहा कि चांद की मिट्टी पृथ्वी से बिल्कुल भिन्न है। इसलिए हमें कृत्रिम चंद्र सतह बनाने की चुनौती थी ताकि लैंडर और रोवर का परीक्षण कर सकें। परीक्षण के लिए अमरीका से मिट्टी मंगाना काफी महंगा था क्योंकि 60 से 70 टन मिट्टी की जरूरत थी। इसरो इसके लिए घरेलू उपाय तलाश रहा था तभी कई वैज्ञानिकों ने सेलम के करीब एनॉर्थोसाइट चट्टानें मौजूद होने की बात बताई। सेलम के सीतमपोंडी कुन्नामलाई गांव में मौजूद इन चट्टानों की मिट्टी चांद की सतह जैसी है। इसी मिट्टी से इसरो ने चंद्र सतह तैयार किया। इसके लिए चट्टानों को तोड़कर जरूरत के मुताबिक आकार दिया गया और उसे बेंगलूरु लाया गया। इससे तैयार चंद्र सतह की कृत्रिम मिट्टी अपोलो-16 मिशन द्वारा लाए गए नमूनों से बिल्कुल मेल खाता है।

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