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इसरो बढ़ाएगा प्रक्षेपण

locationबैंगलोरPublished: Jun 23, 2016 04:34:00 am

इसरो सालाना प्रक्षेपणों की संख्या बढ़ाकर 12-18 करना चाहता है ताकि घरेलू जरुरतों को पूरा करने के साथ ही

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बेंगलूरु।इसरो सालाना प्रक्षेपणों की संख्या बढ़ाकर 12-18 करना चाहता है ताकि घरेलू जरुरतों को पूरा करने के साथ ही वैश्विक बाजार में भी हिस्सेदारी बढ़ाई जा सके। इसके लिए नया प्रक्षेपण यान संयोजन केंद्र भी स्थापित करने में जुटा है।

पीएसएलवी सी-34 से एक साथ 20 उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद पत्रकारों से बातचीत में इसरो अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने कहा कि हम पीएसएलवी का उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं ताकि प्रक्षेपणों की संख्या बढ़ सके। उन्होंने कहा कि हम ऐसी व्यवस्था बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं-जहां इसरो और निजी क्षेत्र साथ मिलकर काम कर सकें। इससे आने वाले वर्षों में सालाना प्रक्षेपणों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी।


 तीन चरण वाले नए पीएसएलवी के विकास के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वास्तविक तौर पर ऐसा कुछ भी नहीं है। एक तीन चरण वाले पीएसएलवी के विकास के बारे में उन्होंने कहा, एक चीज पर हम निरंतर ध्यान दे रहे हैं कि कैसे अंतरिक्ष तक पहुंच का खर्च घटाया जाए और इन अध्ययनों के जरिए उपग्रहों के प्रक्षेपण की लागत घटाने की पद्धति पर काम किया जा रहा है। उन्होंने पीएसएलवी के अलग-अलग तरह के मिशनों को अंजाम देने का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी पूरी कोशिश इसकी क्षमता बढ़ाने की है।

तीसरे लांच पैड की जरुरत के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इसरो प्रक्षेपण बढ़ाने में बाधाओं को दूर करने के लिए प्रयासरत है। नया रॉकेट संयोजन केंद्र इसके लिए सबसे बड़ी जररुत है और नया रॉकेट केंद्र तैयार हो रहा है, इससे प्रक्षेपणों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास सतत रूप से स्थिति का आकलन करना और उचित समय पर सुधारात्मक कदम उठाना है। कुमार ने का कि एक बार वर्तमान अड़चनें दूर हो जाएं और अगर हमें नए प्रक्षेपण स्थल की जरूरत होगी, तो हम जरूर उसकी तैयारी करेंगे।

एसईए उपग्रह का प्रक्षेपण दिसंबर बाद

उन्होंने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के लिए विकसित किए जा रहे उपग्रह का प्रक्षेपण इस साल दिसम्बर से लेकर अगले साल मध्य के बीच किया जाएगा। पहले इस उपग्रह का नाम सार्क रखा गया था लेकिन पाकिस्तान के बाहर होने के बाद इसका नाम एसईए कर दिया गया।

अगला प्रक्षेपण स्कैटसैट का

उन्होंने इसरो के अगले मिशन के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पीएसएलवी-35 से स्कैटसैट का प्रक्षेपण किया जाएगा। इस उपग्रह में स्कैटरोमीटर जुड़ा होगा जिससे सागर में वायु की दिशा की सूचना, मौसम की निगरानी और पूर्वानुमान संबंधी गतिविधि में मदद मिलेगी।

जीसैट-18 के प्रक्षेपण में देरी

कुमार ने कहा कि जीसैट-18 का प्रक्षेपण 12 जुलाई के बजाय सितंबर में किए जाने की संभावना है। इसका प्रक्षेपण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एरियन स्पेस रॉकेट से किया जाना है लेकिन इसके साथ भेजे जाने वाले दूसरे उपग्रह के कौरू नहीं पहुंचने के कारण इसके प्रक्षेपण में देरी हो रही है।

पांच साल में 70 उपग्रह

भविष्य की जरुरतों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कुमार ने कहा कि हमारा आकलन है कि हमें देश की विभिन्न जरूरतें पूरी करने के लिए उपग्रहों की मौजूदा संख्या दोगुनी करने की जरूरत है और इस दिशा में कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में करीब 70 और उपग्रह के प्रक्षेपण की जरुरत है। इनमें संचार, पृथ्वी निगरानी, नौवहन तथा अन्य उपग्रह शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसरो वैश्विक रुख के अनुरूप पृथ्वी निगरानी उपग्रहों का आकार कम करने का प्रयास कर रहा है।

आगे भी अमरीकी उपग्रहों का प्रक्षेपण


अमरीकी कंपनियां टेरा बेला (गूगल की कंपनी) और प्लैनेट लैब के उपग्रहों का इसरो द्वारा बुधवार को किया गया प्रक्षेपण केवल एक बार की बात नहीं है, बल्कि यह आगे भी जारी रहेगा। इसरो प्रणोदन केंद्र और एंट्रिक्स कार्पोरेशन के अध्यक्ष सह कार्यकारी निदेशक एस. राकेश ने कहा कि हम प्लैनेट लैब और अन्य कंपनियों के साथ उनके उपग्रह के प्रक्षेपण को लेकर बातचीत कर रहे हैं। एंट्रिक्स इसरो की वाणिज्यिक इकाई है। दोनों ही कंपनियों की योजना आगे भी कई उपग्रह प्रक्षेपित करने की है।

113 उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं इसरो ने अब तक
74 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण अब तक किया है इसरो ने
39 स्वदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण अब तक श्रीहरिकोटा से
21 देशों के उपग्रह प्रक्षेपित किए गए हैं श्रीहरिकोटा से
35 बार सफल उड़ान भर चुका है पीएसएलवी अब तक

13 संचार और इतने ही पृथ्वी निगरानी उपग्रह हैं इनमें
07 नौवहन उपग्रह भी हैं, जो स्वदेशी नाविक के हिस्सा हैं
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