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इसरो ने रखा नए दशक में नई ऊंचाइयां छूने का लक्ष्य, अनुसंधान एवं इनोवेशन पर जोर

locationबैंगलोरPublished: Jan 01, 2021 09:57:54 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

सभी केंद्रों को दिया गया टास्क, बदलते वैश्विक अंतरिक्ष परिदृश्य में पीछे नहीं रहेगा भारत

इसरो ने रखा नए दशक में नई ऊंचाइयां छूने का लक्ष्य, अनुसंधान एवं इनोवेशन पर जोर

इसरो ने रखा नए दशक में नई ऊंचाइयां छूने का लक्ष्य, अनुसंधान एवं इनोवेशन पर जोर

बेंगलूरु.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के.शिवन ने नए साल के संदेश में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए नए दशक की नींव रखी है। कोरोना महामारी से वर्ष 2020 में मिली चुनौतियों के बावजूद दो अहम मिशनों के प्रक्षेपण पर उन्होंने टीम के प्रयासों की सराहना की है साथ ही विभिन्न केंद्रों के सामने लघु और दीर्घ अवधि का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है।
शिवन ने कहा है कि पिछले दशक में इसरो ने कई उपलब्धियां अपने नाम की। उनमें स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ जीएसएलवी और जीएसएलवी मार्क-3 का ऑपरेशनल होना, मंगलयान मिशन, स्वदेशी जीपीएस नाविक, हाइ थ्रोपुट उपग्रह का प्रक्षेपण, विंग वाले पुन: उपयोग प्रक्षेपण यान (आरएलवी) और स्क्रैमजेट इंजन का तकनीकी प्रदर्शन विशेष उपलब्धियां रहीं। लेकिन, अगले दशक की ओर आगे बढऩे से पहले यह देखना होगा कि वैश्विक स्तर अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र का प्रवेश हो चुका है। कई निजी क्षेत्र की कंपनियां अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम दे रही है। उनकी नजर किफायती अंतरिक्ष परिवहन (स्पेस ट्रांसपोर्टेशन) प्रणाली स्थापित करने के साथ ही उपग्रहों का नक्षत्र स्थापित कर ऑन-डिमांड अंतरिक्ष सेवाएं प्रदान करने पर है। अगली पीढ़ी की अंतरिक्ष प्रणालियां तैयार करनें में कृत्रिम बुद्धिमता और मशीन लर्निंग का अधिकतम इस्तेमाल हो रहा है। अब 5-जी कनेक्टिविटी का दौर है और इसके लिए इको-सिस्टम तैयार करने के साथ ही इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) में उपग्रहों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नई तकनीक का दशक
शिवन ने कहा है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व के साथ चलने के लिए ऐसे प्रक्षेपण यानों (रॉकेट) का विकास करना होगा जो भारी उपग्रहों का प्रक्षेपण कर सके। इसके साथ ही सेमी क्रायोजेनिक चरण, पुन: उपयोगी प्रक्षेपण यान (आरएलवी), उन्नत प्रणोदन, अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स, उन्नत मैटेरियल्स, डायनामिक स्पेस एप्लीकेशंस और अंतरिक्ष आधारित सेवाओं के कुशल इंटीग्रेशन के अलावा उन्नत वैज्ञानिक मिशनों की आवश्यकता होगी। इस संदर्भ में लघु और दीर्घ अवधि की जरूरतों के हिसाब से सभी इसरो केंद्रों को एक दशक की योजना तैयार करने को कहा गया था जिसमें सभी केंद्रों ने सक्रियता भाग लिया। एक दशक की इस योजना में राष्ट्रीय जरूरतों, नई अंतरिक्ष नीति और वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान एवं इनोवेशन पर पूरा जोर दिया गया है।
प्रमुख केंद्रों के सामने लक्ष्य
इस नए दौर में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए रॉकेट के विकास के साथ ही, अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली, पुन: उपयोगी प्रक्षेपण यान के विकास, स्क्रैमजेट इंजन अनुसंधान, एयरोनॉटिक्स, संरचनाएं, प्रोपल्शन, एवियोनिक्स, रसायन एवं पदार्थ आदि के विकास पर फोकस करेगा। वहीं, एलपीएससी को बहुप्रतीक्षित सेमी क्रायोजेनिक प्रणोदन प्रणाली के विकास की जिम्मेदारी है। सेमीक्रायोजेनिक इंजन के विकास से भारत की क्षमता 5.5 टन वजनी उपग्रहों को जीटीओ तक पहुंचाने की हो जाएगी। अगले दशक में यूआर राव उपग्रह केंद्र ब्रॉडबैंड संचार के लिए उपग्रहों के नक्षत्र स्थापित करने पर जोर देगा।
इसके साथ ही इलेक्ट्रिक उपग्रह प्लेटफार्म तैयार करने की एक अहम जिम्मेदारी भी यूआरएससी पर होगी। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र मानव अंतरिक्ष मिशन के साथ-साथ भारी उपग्रहों को ले जाने वाले रॉकेटों का प्रक्षेपण सुनिश्चित करेगा। साथ ही निजी अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली को सुविधाजनक बनाने के लिए बुनियादी ढांचे तैयार करेगा। इसके अलावा इसरो के अन्य सभी केंद्रों के सामने भी नए दशक का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। इसमें मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी भी शामिल है।
एसएसएलवी, चंद्रयान-3, आदित्य-1 प्राथमिकता में
के.शिवन ने कहा है कि इस साल के प्रमुख मिशनों में एसएसएलवी का प्रायोगिक प्रक्षेपण, जियो इमेजिंग उपग्रह को ऑपरेशनल करना, चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण, प्रथम सूर्य मिशन आदित्य-1 का प्रक्षेपण, देश के पहले डाटा रिले उपग्रह का प्रक्षेपण आदि शामिल है। वहीं, मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के तहत पहले मानव रहित मिशन का प्रक्षेपण इस साल की प्राथमिकताओं में शामिल है जो मील का पत्थर साबित होगा।
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