शिवन ने कहा है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व के साथ चलने के लिए ऐसे प्रक्षेपण यानों (रॉकेट) का विकास करना होगा जो भारी उपग्रहों का प्रक्षेपण कर सके। इसके साथ ही सेमी क्रायोजेनिक चरण, पुन: उपयोगी प्रक्षेपण यान (आरएलवी), उन्नत प्रणोदन, अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स, उन्नत मैटेरियल्स, डायनामिक स्पेस एप्लीकेशंस और अंतरिक्ष आधारित सेवाओं के कुशल इंटीग्रेशन के अलावा उन्नत वैज्ञानिक मिशनों की आवश्यकता होगी। इस संदर्भ में लघु और दीर्घ अवधि की जरूरतों के हिसाब से सभी इसरो केंद्रों को एक दशक की योजना तैयार करने को कहा गया था जिसमें सभी केंद्रों ने सक्रियता भाग लिया। एक दशक की इस योजना में राष्ट्रीय जरूरतों, नई अंतरिक्ष नीति और वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान एवं इनोवेशन पर पूरा जोर दिया गया है।
इस नए दौर में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए रॉकेट के विकास के साथ ही, अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली, पुन: उपयोगी प्रक्षेपण यान के विकास, स्क्रैमजेट इंजन अनुसंधान, एयरोनॉटिक्स, संरचनाएं, प्रोपल्शन, एवियोनिक्स, रसायन एवं पदार्थ आदि के विकास पर फोकस करेगा। वहीं, एलपीएससी को बहुप्रतीक्षित सेमी क्रायोजेनिक प्रणोदन प्रणाली के विकास की जिम्मेदारी है। सेमीक्रायोजेनिक इंजन के विकास से भारत की क्षमता 5.5 टन वजनी उपग्रहों को जीटीओ तक पहुंचाने की हो जाएगी। अगले दशक में यूआर राव उपग्रह केंद्र ब्रॉडबैंड संचार के लिए उपग्रहों के नक्षत्र स्थापित करने पर जोर देगा।
के.शिवन ने कहा है कि इस साल के प्रमुख मिशनों में एसएसएलवी का प्रायोगिक प्रक्षेपण, जियो इमेजिंग उपग्रह को ऑपरेशनल करना, चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण, प्रथम सूर्य मिशन आदित्य-1 का प्रक्षेपण, देश के पहले डाटा रिले उपग्रह का प्रक्षेपण आदि शामिल है। वहीं, मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के तहत पहले मानव रहित मिशन का प्रक्षेपण इस साल की प्राथमिकताओं में शामिल है जो मील का पत्थर साबित होगा।