बैंगलोर

अगले साल 3 जनवरी को प्रक्षेपित हो सकता है चंद्रयान-2

नए सिरे से हुई है तैयारी, जीएसएलवी मार्क-3 से होगी लांचिंग

बैंगलोरAug 12, 2018 / 08:00 pm

Rajeev Mishra

अगले साल ३ जनवरी को प्रक्षेपित हो सकता है चंद्रयान-2

बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अगले वर्ष 3 जनवरी को देश के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित करने की योजना बनाई है। पहले चंद्रयान का प्रक्षेपण इसी साल किया जाना था।
इसरो के संस्थापक विक्रम साराभाई की 99 वीं जयंती पर यहां रविवार को अंतरिक्ष भवन में उनकी प्रतिमा का अनावरण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि मिशन की नए सिरे से समीक्षा करने के बाद कई नए फीचर जोड़े गए हैं।
उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की लांचिंग के लिए 3 जनवरी 2019 की तारीख तय की गई है और तैयारियां इसी को ध्यान में रखकर हो रही हैं। लेकिन, किसी कारणवश अगर 3 जनवरी को मिशन लांच नहीं हो पाया तो उसे मार्च 2019 तक विस्तार दिया जा सकता है। चंद्रयान-1 के विपरीत चंद्रयान-2 मिशन के तहत आर्बिटर के अलावा लैंडर और रोवर भी भेजे जाएंगे। लैंडर चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा जबकि रोवर उससे निकलकर चांद पर चहलकदमी करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा और उसे आर्बिटर को भेजेगा। आर्बिटर रोवर से प्राप्त जानकारियों को वापस धरती पर भेजेगा।
उन्होंने बताया कि अब चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण जीएसएलवी मार्क-2 की जगह जीएसएलवी मार्क-3 से होगा। जीएसएलवी मार्क-3 चंद्रयान-2 को 170 किमी पेरिगी (धरती से न्यूनतम दूरी) गुणा 40 हजार किमी एपोगी (धरती से अधिकतम दूरी) वाली उच्च अंडाकार कक्षा में स्थापित करेगा। उसके बाद 7 मैनुवर (कक्षा में बढ़ाने की प्रक्रिया) किए जाएंगे जिसके बाद चंद्रयान-2 चांद की ओर चल पड़ेगा। इसमें लगभग 16 दिन लग जाएंगे। सातवें मैनुवर के 5 दिन बाद चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचेगा। चांद की कक्षा में यान को 30 किमी गुणा 100 किमी वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा जिसके बाद लैंडर निकलकर चांद की धरती पर उतरेगा। इस प्रक्रिया में 21 से अधिक दिन लग जाएंगे।
उन्होंने बताया कि पूरे मिशन को एकदम नए सिरे से तैयार किया गया है। चांद की धरती पर उतरते वक्त बड़े पैमाने पर धूल निकलेंगे जिससे लैंडर को क्षति पहुंचने का खतरा है। इन तमाम मुद्दों को ध्यान में रखकर कई बदलाव किए गए हैं। सूर्य पर भेजे जाने वाले आदित्य मिशन के बारे में इसरो अध्यक्ष ने बताया कि फिलहाल दिसम्बर 2019 को ध्यान में रखकर तैयारियां चल रही हैं।

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