बेंगलूरु. सोमवार तड़के 2.51 बजे (रविवार आधी रात के बाद) जब भारतीय आकाश में चंद्रमा अपनी पूरी चमक बिखेर रहा होगा और उसकी दूधिया किरणें भारतीय सरजमीं को छू रही होंगी, ठीक उसी समय बंगाल की खाड़ी में स्थित श्रीहरिकोटा से देश का मानव रहित वैज्ञानिक अध्ययन यान CHANDRAYAAN-2 चंद्रमा के लिए उड़ान भरेगा।
स्वदेशी तकनीक से विकसित अत्याधुनिक और सबसे भारी ROCKET GSLV MARK-3 से चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 20 घंटे की उलटी गिनती रविवार सुबह 6 :51 बजे शुरू होगी और धीरे-धीरे शून्य की ओर अग्रसर होगी।
Shriharikota स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र्र पर जुटे इसरो के अंतरिक्ष विज्ञानी और
technicians को बेसब्री से उस पल का इंतजार है, जब दूसरे
launch pad से चंद्रयान-2 उड़ान भरेगा।
भारत की यह उड़ान ऐतिहासिक होगी क्योंकि इस बार चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरने की तैयारी है, जहां विश्व का कोई भी यान नहीं पहुंच सका। इतना ही नहीं भारत विश्व का सिर्फ चौथा देश होगा, जो चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इससे पहले अमरीका, रूस और चीन ही चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं।
देश के
President Ramnath Kovind इस ऐतिहासिक मिशन के Launchingलांचिंग का गवाह बनेंगे। प्रक्षेपण के समय वे श्रीहरिकोटा में मौजूद रहेंगे। उधर,
ISRO Chairman K. Shivan ने परंपराओं के मुताबिक तिरुपति बालाजी मंदिर जाकर पूजा अर्चना की।
चंद्रयान-2 मिशन चंद्रयान-1 से कई मायनों में अलग है लेकिन पहले मिशन के अध्ययनों को यह आगे बढ़ाएगा। 978 करोड़ रुपए वाले इस मिशन के तहत 3.8 टन वजनी चंद्रयान-2 के तीन मॉड्यूल आर्बिटर, लैंडर और रोवर चांद तक पहुंचेंगे। प्रक्षेपण के 16 दिन बाद यान चांद की कक्षा में स्थापित होगा और 6 सितंबर को लैंडर (विक्रम) चांद की धरती पर उतरेगा। लैंडर के उतरने के चार घंटे बाद रोवर (प्रज्ञान) निकलेगा और चांद की धरती पर चहलकदमी करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा।