scriptउन्नत दूरदर्शी से लैस जीआइसैट-1 के प्रक्षेपण की तैयारियां शुरू | ISRO Plans to Launch GISAT-1 Geo-Imaging Satellite on August 12 | Patrika News

उन्नत दूरदर्शी से लैस जीआइसैट-1 के प्रक्षेपण की तैयारियां शुरू

locationबैंगलोरPublished: Jul 24, 2021 01:58:45 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

12 अगस्त को हो सकता है लांचकई उन्नत कैमरों की निगाह में 24 घंटे रहेगा भारतीय भू-भागमार्च 2020 में स्थगित हो गया था प्रक्षेपण

उन्नत दूरदर्शी से लैस जीआइसैट-1 के प्रक्षेपण की तैयारियां शुरू

उन्नत दूरदर्शी से लैस जीआइसैट-1 के प्रक्षेपण की तैयारियां शुरू

बेंगलूरु.
कोरोना ऑनलॉक के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) उन मिशनों को तेजी से आगे बढ़ा रहा है जो पिछले वर्षों से लंबित हैं। इस क्रम में नवीनतम भू-अवलोकन उपग्रह जीआइसैट-1 (जियो इमेजिंग सैटेलाइट-1) सबसे ऊपर है जिसका प्रक्षेपण 12 अगस्त को हो सकता है।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी, शार) पर जीआइसैट-1 प्रक्षेपण की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस उपग्रह को जीएसएलवी एफ-10 रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। पहले इस उपग्रह का प्रक्षेपण 5 मार्च 2020 को होना तय था लेकिन, लगभग 26 घंटे पहले लांच स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद इस उपग्रह को लांच करने की कई योजनाएं बनीं लेकिन, कोरोना लॉकडाउन और कुछ तकनीकी कारणों से प्रक्षेपण टलता रहा।
इसरो के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा ‘हमने 12 अगस्त सुबह 5.43 बजे जीआइसैट-1 प्रक्षेपण की योजना बनाई है। तैयारियां इसी को ध्यान में रखकर चल रहीं हैं।’

उन्नत दूरदर्शी से लैस लगभग 2268 किलोग्राम वजनी जीआइसैट-1 में पांच प्रकार के विशेष पे-लोड (उपकरण) हैं। इनमेंं इमेजिंग कैमरों की एक विस्तृत श्रृंखला है जिनमें दृश्यमान, निकट इंफ्रारेड और थर्मल इमेजिंग जैसे फिल्टर लगे हुए हैं। इन कैमरों में नासा के हब्बल दूरदर्शी जैसा 700 एमएम का एक रिची-च्रीटियन प्रणाली दूरदर्शी (टेलीस्कोप) भी लगा हुआ है। इनके अलावा भी कई हाइ-रिजोल्यूशन कैमरे हैं जो उपग्रह की ऑन बोर्ड प्रणाली द्वारा ही प्रबंधित होंगे। यह उपग्रह 50 मीटर से 1.5 किलोमीटर की रिजोल्यूशन में तस्वीरें ले सकता है। यह उपग्रह भू-स्थैतिक कक्षा में एक ही जगह स्थित रहकर पूरे देश पर नजर रखेगा। यानी, देश के जिस भू-भाग की जब भी तस्वीरें लेने की जरूरत होगी उसे रीयल टाइम में हासिल किया जा सकेगा। अंतरिक्ष विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यह उपग्रह ‘गेम चेंजर’ साबित होगा।
हालांकि, इसरो का कहना है कि यह उपग्रह मौसम की भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन के लिए है लेकिन, जानकारों का कहना है कि भारतीय सीमा में होने वाली घुसपैठ पर भी इस उपग्रह से कड़ी नजर रखी जा सकेगी। अमूमन भू-अवलोकन उपग्रहों को धरती की निचली कक्षा में स्थापित किया जाता है लेकिन इसे 36 हजार किमी वाली भू-स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाना है ताकि, भारतीय भू-भाग पर इसकी लगातार नजर रहे।

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