इसरो के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा ‘हमने 12 अगस्त सुबह 5.43 बजे जीआइसैट-1 प्रक्षेपण की योजना बनाई है। तैयारियां इसी को ध्यान में रखकर चल रहीं हैं।’ उन्नत दूरदर्शी से लैस लगभग 2268 किलोग्राम वजनी जीआइसैट-1 में पांच प्रकार के विशेष पे-लोड (उपकरण) हैं। इनमेंं इमेजिंग कैमरों की एक विस्तृत श्रृंखला है जिनमें दृश्यमान, निकट इंफ्रारेड और थर्मल इमेजिंग जैसे फिल्टर लगे हुए हैं। इन कैमरों में नासा के हब्बल दूरदर्शी जैसा 700 एमएम का एक रिची-च्रीटियन प्रणाली दूरदर्शी (टेलीस्कोप) भी लगा हुआ है। इनके अलावा भी कई हाइ-रिजोल्यूशन कैमरे हैं जो उपग्रह की ऑन बोर्ड प्रणाली द्वारा ही प्रबंधित होंगे। यह उपग्रह 50 मीटर से 1.5 किलोमीटर की रिजोल्यूशन में तस्वीरें ले सकता है। यह उपग्रह भू-स्थैतिक कक्षा में एक ही जगह स्थित रहकर पूरे देश पर नजर रखेगा। यानी, देश के जिस भू-भाग की जब भी तस्वीरें लेने की जरूरत होगी उसे रीयल टाइम में हासिल किया जा सकेगा। अंतरिक्ष विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यह उपग्रह ‘गेम चेंजर’ साबित होगा।
हालांकि, इसरो का कहना है कि यह उपग्रह मौसम की भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन के लिए है लेकिन, जानकारों का कहना है कि भारतीय सीमा में होने वाली घुसपैठ पर भी इस उपग्रह से कड़ी नजर रखी जा सकेगी। अमूमन भू-अवलोकन उपग्रहों को धरती की निचली कक्षा में स्थापित किया जाता है लेकिन इसे 36 हजार किमी वाली भू-स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाना है ताकि, भारतीय भू-भाग पर इसकी लगातार नजर रहे।