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दो ब्रिटिश उपग्रहों के साथ पीएसएलवी सी-42 ने भरी उड़ान, सफल रहा प्रक्षेपण, दोनों उपग्रह कक्षा में स्थापित

locationबैंगलोरPublished: Sep 16, 2018 10:28:05 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

इसरो अध्यक्ष के. शिवन सहित अन्य अधिकारी और वैज्ञानिक भी श्रीहरिकोटा में मौजूद हैं

ISRO

दो ब्रिटिश उपग्रहों के साथ पीएसएलवी सी-42 ने भरी उड़ान

बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के विश्वसनीय रॉकेट धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएसलवी सी-४२) ने रविवार रात 10.08 बजे दो ब्रिटिश उपग्रहों के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लांच पैड से उड़ान भरी। उड़ान बिल्कुल सामान्य रही और सबकुछ योजना के मुताबिक हुआ। उष्मारोधी कवच भी अलग हो चुका है । प्रक्षेपण सफल रहा, दोनों उपग्रह कक्षा में स्थापित हो गए हैं। इस पूर्ण वाणिज्यिक मिशन में इसरो दो ब्रिटिश उपग्रहों – नोवासार-1 और एस1-4 को कक्षा में स्थापित करेगा। इस मिशन के लिए उलटी गिनती शनिवार दोपहर 1.08 बजे शुरू हुई थी। लगभग 33 घंटे की उलटी गिनती के बाद रविवार रात 10.08 बजे प्रक्षेपण किया गया। ब्रिटिश कंपनी सर्रे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एसएसटीएल) के अधिकारियों की टीम भी श्रीहरिकोटा में मौजूद है। साथ इसरो अध्यक्ष के. शिवन सहित अन्य अधिकारी और वैज्ञानिक भी श्रीहरिकोटा में मौजूद हैं।
दोनों ब्रिटिश उपग्रहों को अंतरिक्ष में 583 किलोमीटर सूर्य समकालिक कक्षा (एसएसओ) में छोड़ा जाएगा। दोनों उपग्रहों का संयुक्त वजन 889 किलोग्राम है और इनके प्रक्षेपण के लिए इसरो पीएसएलवी के मूल स्वरूप यानी कोर अलोन वर्जन का उपयोग कर रहा है।
दरअसल, पीएसएलवी दो रूपों में उपलब्ध है। कोर अलोन संस्कण और विस्तारित संस्करण। विस्तारित संस्करण में छह अतिरिक्त स्ट्रैपवंस का उपयोग किया जाता है। पीएसएलवी अधिकतम 16 00 किलोग्रम वजनी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर सकता है।
नोवासार एस-बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार उपग्रह है जो 445 किलोग्राम वजनी है। इसके साथ एस-बैंड सार-पे-लोड और ऑॅटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन रिसीवर है। इसका उपयोग मुख्य रूप से जंगलों के नक्शे, वर्षा से अच्छादित जमीन के निरीक्षण, बाढ़ एवं आपदा निरीक्षण, जहाजों का पता लगाना एवं समुद्री निरीक्षण के लिए किया जाएगा। वहीं एस1-4 एक भू-अवलोकन उपग्रह है। एस1-4 का वजन 444 किलोग्राम है और यह संसाधनों के अवलोकन, पर्यावरण का निरीक्षण, शहरी विकास प्रबंधन, आपदा निरीक्षण आदि के लिए किया जाएगा। इन उपग्रहों का निर्माण ब्रिटिश कंपनी सर्रे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एसएसटीएल) ने किया है और प्रक्षेपण के लिए इसरो की वाणिज्यिक इकाई अंतरिक्ष लिमिटेड के साथ करार किया है। इससे पहले इसरो ने एक पूर्ण वाणिज्यिक उड़ान के तहत 10 जुलाई 2015 को पीएसएलवी सी-28 से पांच ब्रिटिश उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण किया था।
मानव मिशन की प्रभारी ललिताम्बिका ने की अंग्रेजी में कमेंट्री

पीएसएलवी सी 42 मिशन के प्रक्षेपण के दौरान एक रुचिकर बात यह रही क इस मिशन के लाइव प्रसारण के दौरान अंग्रेजी में कमेंट्री मानव मिशन की प्रभारी वीआर ललिताम्बिका कर रही थीं। भारत ने वर्ष 2022 में मानव मिशन (गगनयान) लांच करने की घोषणा की है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक ललिताम्बिका को सौंपी है।
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