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मानव मिशन की ओर बढ़े और एक कदम

locationबैंगलोरPublished: Jul 05, 2018 07:12:56 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

‘ क्रू एस्केप सिस्टम’ का सफल परीक्षण, खतरे की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने की तकनीक

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मानव मिशन की ओर बढ़े और एक कदम

बेंगलूरु. अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की दिशा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और कदम बढ़ा लिया है। इसरो ने गुरुवार सुबह श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ‘ क्रू एस्केप सिस्टम’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया जो मानव मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण तकनीक है।
दरअसल, ‘ क्रू एस्केप सिस्टम’ आपात स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को ले जा रहे क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से अलग कर सुरक्षित निकालने की तकनीक है। दूसरे शब्दों में, मानव मिशन लांच करते वक्त अगर किसी कारणवश रॉकेट प्रणाली या कहीं कोई अन्य खराबी आ गई तो विध्वंस से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित निकालकर एक निश्चित दूरी पर सफलतापूर्वक उतारने में यह तकनीक मददगार होगी। अंतरिक्ष कार्यक्रमों में सुरक्षा को अत्यधिक प्राथमिकता दी जाती है इसलिए इस तकनीक के परीक्षण में इसरो को मिली कामयाबी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसरो ने इसके लिए पैड एबॉट टेस्ट (पीएटी) का पहला परीक्षण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से किया।
इसरो की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार पांच घंटे की उलटी गिनती के बाद सुबह 7 बजे क्रू एस्केप सिस्टम के साथ 12.6 टन वजनी क्रू मॉड्यूल (जिसमें भविष्य में अंतरिक्ष यात्री जाएंगे) लांच किया गया। परीक्षण के दौरान क्रू मॉड्यूल जब 2.7 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचा तभी विशेष रूप से डिजाइन किए गए ठोस मोटर क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से अलग करते हुए सुरक्षित दूरी तक ले गए। बाद में पैराशूट के जरिए क्रू मॉड्यूल (स्पेस कैप्सूल) को श्रीहरिकोटा से 2.9 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में उतार लिया गया। इस दौरान क्रू एस्केप सिस्टम ने सफलतापूवर्कक क्रू मॉड्यूल को गुरुत्वाकर्षण के सुरक्षित स्तर के भीतर रखा और सुरक्षित जी-लेवेल से ऊपर नहीं जाने दिया। इस मिशन के दौरान लगभग 300 सेंसरों के जरिए विभिन्न प्रणालियों के प्रदर्शन को कई मानदंडों पर परखा गया और आंकड़े रिकॉर्ड किए गए जो अगले परीक्षण का आधार बनेंगे। इसरो ने कहा है कि क्रू मॉड्यूल के सफलतापूर्वक बंगाल की खाड़ी में उतरने के बाद तीन नावों के जरिए क्रू मॉड्यूल को हासिल किया गया।
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इसरो अध्यक्ष के.सिवन ने कहा कि परीक्षण शानदार और पूरी तरह सफल रहा। उन्होंने कहा कि यह स्वदेशी मानव युक्त अंतरिक्ष मिशन का एक बेहद महत्वपूर्ण भाग है। यह मानव मिशन के लिए विकसित किए जाने वाले सुरक्षा तंत्र का हिस्सा है। अगले परीक्षण के दौरान स्पेस कैप्सूल को उड़ान अवस्था में अलग कर अलग करने की कोशिश होगी। मानव मिशन के लिए कई उपकरणों, प्रणालियों की आवश्यकता है जिसमें से कुछ का आज परीक्षण हुआ जबकि कई प्रणालियों का परीक्षण भविष्य में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस मिशन के तहत मानव को अंतरिक्ष में भेजना और फिर उसे सुरक्षित धरती पर वापस लाने की चुनौती होती है। इसके लिए अंतरिक्षयान में ही जीवनरक्षक तंत्र तैयार करना होगा। उसमें ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति, नियंत्रित दबाव, पर्यावरण, खाद्य आपूर्ति, मानव कचरा निस्तारण और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा प्रणाली के साथ-साथ आपात स्थिति में उन्हें बचाने की तकनीक होनी चाहिए। इस मिशन के लिए बजट पर इसरो अध्यक्ष ने कहा कि आज के सफल परीक्षण के बाद एक संपूर्ण परियोजना रिपोर्ट तैयार कर सरकार के समक्ष मंजूरी के लिए पेश करेंगे।
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