बैंगलोर

जीआइसैट-1 का प्रक्षेपण 5 मार्च को

श्रीहरिकोटा में चल रही है तैयारियांपांच विशेष कैमरे और टेलीकोस्प से लैसभारतीय भू-भाग पर रहेगी 24 घंटे नजर

बैंगलोरFeb 25, 2020 / 08:40 pm

Rajeev Mishra

जीआइसैट-1 का प्रक्षेपण 5 मार्च को

बेंगलूरु.
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी, शार) से विशेष भू-अवलोकन उपग्रह जीआइसैट-1 (जियो इमेजिंग सैटेलाइट-1) का प्रक्षेपण 5 मार्च को होने की संभावना है। इसे भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-मार्क-2 एफ-10) से लांच किया जाएगा जिसकी तैयारियां श्रीहरिकोटा में चल रही हैं।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जीआइसैट-1 को 5 मार्च शाम 5.43 बजे (लगभग) श्रीहरिकोटा के दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह लगभग 18 मिनट का मिशन होगा। यानी, प्रक्षेपण के 18 मिनट बाद जीएसएलवी मार्क-2 रॉकेट उपग्रह को उसकी कक्षा में स्थापित कर देगा। अभी तक इसरो के भू-अवलोकन उपग्रहों को धरती की 600 किमी वाली कक्षा में ही स्थापित किया गया है लेकिन, यह पहला भू-अवलोकन उपग्रह होगा जिसे धरती की 36 हजार किमी वाली कक्षा में भेजा जाएगा। इसकी कक्षा ऐसी होगी और इसे ऐसे कोण पर स्थापित किया जाएगा कि वह भारतीय उपमहाद्वीप पर 24 घंटे निरंतर नजर रख सकेगा। इस उपग्रह के जरिए देश के किसी भी भू-भाग की तस्वीरें रीयल टाइम में हासिल की जा सकेंगी। ऑपरेशनल होने के बाद इससे देश की सीमाओं की निगरानी भी होगी। इसरो का कहना है कि यह उपग्रह मौसम की भविष्यवाणी और प्राकृतिक आपदा के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है।
इस उपग्रह की खासियत इसके विशेष पे-लोड (उपकरण) हैं। इनमें इमेजिंग कैमरों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो निकट इंफ्रारेड और थर्मल इमेजिंग करने में सक्षम हैं। इन कैमरों में नासा के हब्बल दूरदर्शी जैसा 700 एमएम का एक रिची-च्रीटियन प्रणाली का दूरदर्शी (टेलीस्कोप) भी लगा हुआ है। इनके अलावा भी कई हाइ-रिजोल्यूशन कैमरे हैं जो उपग्रह की ऑन बोर्ड प्रणाली द्वारा ही संचालित होंगे। यह उपग्रह 50 मीटर से 1.5 किलोमीटर की रिजोल्यूशन में तस्वीरें ले सकता है। इस उपग्रह का वजन लगभग 2१०० किलोग्राम है और इसका प्रक्षेपण जीएसएलवी मार्क-2 से किया जाएगा। इस श्रृंखला का एक और उपग्रह लांच करने की योजना है।

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