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इस साल चार और मिशन पूरा करेगा इसरो

locationबैंगलोरPublished: Aug 16, 2017 10:13:00 pm

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की तैयारियों में जुट गया है। यह वैज्ञानिक मिशन मार्च 2018 में प्रक्षेपि

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बेंगलूरु।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की तैयारियों में जुट गया है। यह वैज्ञानिक मिशन मार्च 2018 में प्रक्षेपित होगा। लेकिन, उसके पहले इस साल इसरो ने कम से कम चार अभियानों को अंजाम देने की योजना तैयार की है।

श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी, शार) के निदेशक पी.कुन्हीकृष्णन ने कहा कि इस साल पीएसएलवी के तीन और जीएसएलवी का एकमिशन छोड़ा जाएगा। तीन पीएसएलएवी में से पहला आगामी 31 अगस्त को लांच किया जाएगा जिसके तहत नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1एच को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। आईआरएनएसएस-1एच नाविक श्रृंखला के पहले उपग्रह आईआरएनएसएस-1ए का स्थान लेगा। इसके बाद सितम्बर और नवम्बर महीने में पीएसएलवी के दो और अभियान पूरे किए जाएंगे।

इसके बाद साल के अंत में जीएसएलवी के एक मिशन के तहत एक और संचार उपग्रह छोड़ा जाएगा। इस वर्ष इसरो ने अभी तक पीएसएलवी के दो अभियान (पीएसएलवी सी-37 और पीएसएलवी सी-38 ) और जीएसएलवी का एक तथा जीएसएलवी मार्क-3 का एक अभियान पूरा किया है। इन चार और अभियानों से इस साल कुल 8 मिशन पूरा होने की उम्मीद है। गत वर्ष इसरो ने पीएसएलवी के 6 तथा जीएसएलवी के एक अभियान के अलावा पुन: उपयोगी प्रक्षेपण यान (आरएलवीटीडी) का प्रक्षेपण किया था।

हर वर्ष 10 से 12 अभियानों का लक्ष्य

कुन्हीकृष्णन ने बताया कि इसरो उपग्रहों की बढ़ती मांग के मद्देनजर हर वर्ष 10 से 12 अभियानों का लक्ष्य हासिल करना है। इसके लिए दूसरे व्हीकल एसेंबलिंग केंद्र का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह केंद्र 96 मीटर ऊंचा होगा और इसका 8 2 मीटर तक का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।

अगले छह महीने के भीतर यह केंद्र बनकर तैयार हो जाएगा। इस केंद्र के तैयार होने से दो अभियानों की तैयारी समानांतर चल सकती है। इससे हर वर्ष मिशनों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी। कुन्हीकृष्णन ने बताया कि भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण को ध्यान में रखते हुए श्रीहरिकोटा स्थित ठोस प्रणोदक संयंत्र की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है।

इसके अलावा 29 नए कार्य स्थल तैयार किए जा रहे हैं। यह कार्य स्थल पीएसएलवी और जीएसएलवी के लिए ठोस मोटर उत्पादन बढ़ाने में मददगार साबित होंगे।

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