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इसरो उपग्रह बढ़ाएंगे देश की सामरिक ताकत

locationबैंगलोरPublished: Nov 19, 2019 07:15:10 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

कार्टो और रिसैट श्रृंखला के उपग्रह उड़ान भरने को तैयार, बढ़ेगी निगरानी एवं टोही क्षमता

इसरो उपग्रह बढ़ाएंगे देश की सामरिक ताकत

इसरो उपग्रह बढ़ाएंगे देश की सामरिक ताकत

बेंगलूरु.
मिशन चंद्रयान-2 के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक के बाद एक तीन ऐसे उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा जिससे देश की सामरिक क्षमता मजबूत होगी। इनमें से एक उपग्रह कार्टोसैट-3 का प्रक्षेपण 25 नवम्बर सुबह 9.28 बजे पीएसएलवी सी-47 से किया जाएगा।
इसके बाद अगले महीने रिसैट-2बीआर-1 और रिसैट-2 बीआर-2 प्रक्षेपण की योजना है। रिसैट-2 बीआर-1 और रिसैट-2 बीआर 2 रिसैट श्रृंखला के विशेष उपग्रह हैं। ये अत्यधुनिक एक्स बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार (एसएआर) युक्त उपग्रह है जिसकी तकनीक इसरो ने हाल में विकसित की है। इन उपग्रहों के जरिए दिन-रात या बादलों के आच्छादित रहने पर भी धरती के किसी भू-भाग पर नजर रखी जा सकती है। यह देश की निगरानी एवं टोही क्षमता को बढ़ाने वाले उपग्रह हैं। अगले महीने पीएसएलवी सी-48 से रिसैट-2बीआर-1 के प्रक्षेपण की योजना है तो दिसम्बर या जनवरी में पीएसएलवी सी-49 से रिसैट-2बीआर-2 लांच किया जाएगा। इसरो ने इसी वर्ष रिसैट श्रृंखला के एक अन्य उपग्रह रिसैट-2 बी को पिछले 22 मई को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया था।
दरअसल, रिसैट श्रृंखला उपग्रहों की जरूरत वर्ष 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले के बाद महसूस की गई। इसरो ने 20 अप्रेल 2009 को रिसैट-2 उपग्रह लांच किया था, जिससे सशस्त्र बलों को काफी मदद मिली थी। हालांकि, तब इसरो की योजना स्वदेशी तकनीक से विकसित ‘सी बैंड’ सिंथेटिक अपर्चर राडार उपग्रह रिसैट-1 लांच करने की थी लेकिन यह भारतीय उपग्रह तैयार नहीं था। भारत ने इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज से एक्स बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार लिया जिसे रिसैट-2 में इंटीग्रेट कर छोड़ा गया। अब इसरो द्वारा तैयार रिसैट-2 बीआर1 और रिसैट-2 बीआर-2 एक्स बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार उपग्रह है जो देश की इमेजिंग और टोही क्षमता को बढ़ाएंगे। एक तरह से इसरो का जोर इस साल सामरिक दृष्टिकोण से अहम भू-अवलोकन उपग्रहों के प्रक्षेपण पर रहा है। इसी वर्ष 1 अप्रेल को इसरो ने डीआरडीओ द्वारा निर्मित एमिसैट उपग्रह भी लांच किया था। मिनी सैटेलाइट-2 बस संरचना में निर्मित यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इमेजिंग उपग्रह था जो विद्युत चुंबकीय तरंगों द्वारा धरती की टोह लेने में सक्षम है। इसे भी सैन्य उपग्रह कहा गया।
इसरो सामरिक दृष्टिकोण से अहम उपग्रहों के साथ ही वाणिज्यिक उद्देश्य के तहत विदेशी एजेंसियों के उपग्रहों को भी लांच करेगा। पीएसएलवी सी-47 से 13 विदेशी उपग्रह, पीएसएलवी सी-48 से जापानी एजेंसी के उपग्रह क्यूपीएस एसएआर-1 के अलावा चार लेमूर 2 क्यूबसैट और अन्य उपग्रह तथा पीएसएलवी सी-49 से केएसएम श्रृंखला के चार उपग्रहों, लेमूर क्यूबसैट आदि उपग्रह छोड़े जाएंगे।
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